नई दिल्ली: उत्तराखंड (Uttarakhand) में तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने बताया कि संवैधानिक संकट के चलते उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है. तीरथ सिंह रावत ने मार्च महीने में ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) की जगह ली थी. पार्टी में उठ रहे विरोध के चलते त्रिवेंद्र सिंह रावत को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था. इसके बाद सीएम की कुर्सी तीरथ सिंह रावत को दी गई. लेकिन वे इस पद पर मात्र चार महीने ही रह पाए. Uttarakhand: पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत बोले- तीरथ सिंह रावत इस्तीफा नहीं देते तो...
दरअसल तीरथ सिंह रावत विधानसभा के सदस्य नहीं थे और मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें 6 महीने में विधानसभा का सदस्य बनना था, लेकिन वर्तमान हालात में उपचुनाव होना मुश्किल था. इसलिए तीरथ सिंह रावत ने पद से इस्तीफा दे दिया.
ममता बनर्जी की कुर्सी पर खतरा
अब उत्तराखंड जैसे हालात पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भी पैदा हो रहे हैं. दरअसल सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) अभी विधानसभा की सदस्य नहीं हैं और कोरोना महामारी के चलते पश्चिम बंगाल में उपचुनाव भी मुश्किल नजर आ रहे हैं.
ममता बनर्जी ने 4 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. ऐसे में छह महीने यानी 4 नवंबर तक उनका विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है, लेकिन अगर इस अवधि के भीतर उपचुनाव नहीं हुए तो ममता बनर्जी के सामने भी तीरथ सिंह रावत जैसा संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है.
इस खतरे को भांपते हुए सीएम ममता बनर्जी ने विधानसभा के जरिए प्रस्ताव पास कराया कि राज्य में विधान परिषद का गठन हो लेकिन इसके लिए लोकसभा की मंजूरी की आवश्यकता है. ऐसे में अगर केंद्र की मोदी सरकार इसे मंजूरी नहीं देती है तो बंगाल में ममता बनर्जी की कुर्सी जा सकती है.
क्या है नियम
कोई मुख्यमंत्री या मंत्री विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य चुने बिना केवल छह महीने तक ही पद पर बना रह सकता है. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164 (4) कहता है कि मुख्यमंत्री या मंत्री अगर छह महीने तक राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है, तो उस मंत्री का पद इस अवधि के साथ ही समाप्त हो जाएगा.