स्मृति ईरानी को दिखाए काले झंडे, एनएसयूआई और वामदलों के कार्यकर्ताओं से भिड़े बीजेपी समर्थक

पुलिस सूत्रों ने बताया कि गोपालगंज के मिन्ज़ स्टेडियम में एक युवा संकल्प सम्मेलन को संबोधित करने के लिए ईरानी के जाने के मार्ग पर एनएसयूआई और वामपंथी कार्यकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों के विरोध में अलग-अलग प्रदर्शन किया

स्मृति ईरानी (Photo Credits: PTI)

पटना: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के काफिले को बिहार के गोपालगंज जिले में काला झंडा दिखाने वाले कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई, उच्च जाति समूह और वामदलों के कुछ कार्यकर्ताओं से बीजेपी समर्थक वृहस्पतिवार को भिड़ गए . पुलिस सूत्रों ने बताया कि गोपालगंज के मिन्ज़ स्टेडियम में एक युवा संकल्प सम्मेलन को संबोधित करने के लिए ईरानी के जाने के मार्ग पर एनएसयूआई और वामपंथी कार्यकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों के विरोध में अलग-अलग प्रदर्शन किया जबकि "सवर्ण मोर्चा" के कार्यकर्ता एससी—एसटी अधिनियम और दलितों, आदिवासियों और ओबीसी के लिए आरक्षण के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे.

प्रदर्शनकारियों के साथ झडप के कारण कुछ समय के लिए ईरानी के काफिले के गुजरने में कुछ बाधा आयी लेकिन पुलिस ने उन्हें नियंत्रित कर लिया.  पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस सिलसिले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.  युवा संकल्प सम्मेलन जिसका आयोजन गोपालगंज के अलावा सिवान जिले के गांधी मैदान में किया गया था जिसमें ईरानी के साथ बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य अध्यक्ष और विधायक नितिन नवीन सहित प्रदेश भाजपा के कई अन्य नेताओं ने भाग लिया. ईरानी ने प्रधानमंत्री को प्रदान किए गए चैंपियंस ऑफ द अर्थ पुरस्कार का हवाला देते हुए कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में देश आर्थिक प्रगति कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खड़ा हो रहा है.

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विपक्ष पर निशाना साधते हुए ईरानी ने कहा कि दूसरों पर कीचड उछालने वालों को याद रखना चाहिए कि कमल मिट्टी में ही खिलता है. सिवान में अपने संबोधन में ईरानी ने जेल में बंद राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन का नाम लिए बिना उन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यहां के लोग कई सालों से आतंकित रहने के बाद अब सुकून की सांस ले रहे हैं. उन्होंने स्थानीय निवासी चंदा बाबू का विशेष उल्लेख किया. उनके दो पुत्रों की दो दशक पहले तेजाब डालकर हत्या कर दी गई थी जबकि इस वारदात के चश्मदीद गवाह उनके तीसरे बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. इन हत्याओं का आरोप शहाबुद्दीन पर लगा था.

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