नई दिल्ली: इस साल के अंत में होने वाले 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाला SC/ST संशोधन कानून संसद में पास कर दिया. 15 अगस्त को लाल किले से अपने संबोधन में पीएम मोदी ने इस बात का जिक्र भी किया. मगर अब बीजेपी का यह फैसला उल्टा पड़ता नजर आ रहा है क्योंकि पार्टी का अपना कोर वोट बैंक स्वर्ण नाराज हो गए हैं. देश के कई राज्यों में स्वर्ण समाज के लोगों ने इसका विरोध करना भी शुरू कर दिया है.
गुरुवार को SC/ST एक्ट में किए गए संशोधन को लेकर स्वर्ण समाज देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस संशोधन के खिलाफ करीब 35 सवर्ण संगठनों द्वारा भारत बंद का ऐलान किया गया है. वहीं मध्यप्रदेश के कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है.
क्या था सर्वोच्च न्यायलय का फैसला?
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च को अपने आदेश में कहा था कि इस अधिनियम के अंतर्गत नामजद आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की मंजूरी अनिवार्य होगी. इसके अलावा एक पुलिस उपाधीक्षक यह जानने के लिए प्रांरभिक जांच कर सकता है कि मामला इस अधिनियम के अंतर्गत आता है या नहीं. इस फैसले को सवर्ण समुदाय के लिए राहत वाला माना गया.
यह भी पढ़े: भारत बंद Live Updates: SC-ST एक्ट के खिलाफ सवर्णों का आंदोलन शुरू
दलित समाज का आंदोलन:
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित समाज सड़कों पर उतर आया था. फैसले के खिलाफ 2 अप्रैल को दलितों ने भारत बंद बुलाया था, जिसमें काफी हिंसा हुई थी.
केंद्र सरकार ने संसद में पास किया कानून:
दलित समाज से बढ़ रहे दबाव के चलते केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुनाए गए फैसले को संसद में एक विधेयक लाकर बदल दिया. मोदी सरकार ने इसी साल मानसून सत्र में एससी-एसटी एक्ट में संशोधन से संबंधित विधेयक को मंजूरी दे दी. विधेयक के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश को पलट दिया गया है जिसमें इस अधिनियम के तहत आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया था.
इस विधेयक के अंतर्गत जांच अधिकारी को एससी/एसटी अधिनियम के अंतर्गत नामजद आरोपी की गिरफ्तारी के लिए किसी अधिकारी के मंजूरी की जरूरत नहीं होगी. इसके अलावा, एससी/एसटी अधिनियम के अंतर्गत आरोपी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के लिए प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं होगी.
विधेयक में यह प्रावधान दिया गया है कि इस प्रस्तावित अधिनियम के अंतर्गत अपराध करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती. इसमें स्पष्ट किया गया है कि यह प्रावधान किसी भी अदालत के आदेश या निर्देश के बाद भी लागू होगा.
स्वर्ण समाज की मांग:
देश की सबसे बड़ी अदालत द्वारा दिए गए फैसले का स्वर्ण समुदाय के लोगों ने स्वागत किया था. सवर्ण समुदायों का कहना है कि इस एक्ट का दुरुपयोग कर उन्हें झूठे मामलों में फंसाया जाता है. स्वर्ण संगठनों का कहना है कि कोर्ट का फैसला सही है लेकिन वोट बैंक के दबाव में आकर सरकार ने एक्ट को उसके पुराने स्वरूप में बहाल कर दिया.
कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं का हो रहा है विरोध:
संसद में विधेयक पारित होने के बाद कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टी के नेताओं को स्वर्ण समाज के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. हर तरफ सर्वण और पिछड़े वर्ग के लोग लामबंद होकर नेताओं और खासकर सांसदों का विरोध करने सड़कों पर उतरने लगे हैं. पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा सांसद प्रभात झा को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस सांसद सिंधिया को अपने संसदीय क्षेत्र गुना-शिवपुरी में लोगों ने काले झंडे दिखाए.
वहीं दूसरी ओर बीजेपी के राज्यसभा सांसद प्रभात झा को मुरैना में विषम हालात का सामना करना पड़ा. उनकी गाड़ी को लोगों ने रोककर घेर लिया, उनके सामने काले झंडे और चूड़ियां लहराईं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी कई मौकों पर विरोध का सामना करना पड़ा है.
अमित शाह ने की बैठक:
बीजेपी के अध्यक्ष ने सवर्णों की नाराजगी को देखते हुए बीजेपी के आला नेताओं के साथ बैठक की. इस बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा की गई.