चुनाव आयोग द्वारा देश में आम चुनावों के कार्यक्रमों के ऐलान के बाद से ही चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. प्रथम चरण के लिए 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. पहले चरण में यूपी की 8 सीट (सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर ) पर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. पश्चिमी यूपी की इन सभी सीटों पर बीजेपी-महागठबंधन-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हैं.
वैसे पश्चिम यूपी की एक अहम सीट हैं सहारनपुर. यहां पिछली बार बीजेपी के राघव लखन पाल चुनाव जिते थे, बीजेपी ने इस बार भी उन्हें ही उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस की ओर से दिग्गज नेता इमरान मसूद को मैदान में उतारा है. बीएसपी ने इस सीट से फजलुर रहमान को मैदान में उतारा है.
जातीय समीकरण:
सहारनपुर की कुल आबादी में मुसलमानों की संख्या 42% है. ये सीट 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान तब सुर्ख़ियों में आई थी जब कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद ने पीएम नरेंद्र मोदी के टुकड़े करने की धमकी दी थी. कांग्रेस और महागठबंधन दोनों ने क्षेत्र के लोकप्रिय मुस्लिम नेताओं को मैदान में उतरा हैं. इस सीट पर दलित समाज का भी अच्छा दबदबा है.
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वैसे, 2017 में दलित समुदाय के सदस्यों ने महाराणा प्रताप जयंती के लिए निकले एक जुलूस पर आपत्ति जताई थी, इससे उच्च-जाति के ठाकुरों को नाराज कर दिया, जिससे दोनों समुदायों के बीच हिंसक झड़पें हुईं थी.
विधानसभा क्षेत्र:
सहारनपुर में विधानसभा की 5 सीट आती हैं. इस क्षेत्र में बेहट, सहारनपुर नगर, सहारनपुर, देवबंद और रामपुर मनिहारन विधानसभा सीट आती हैं.
इतिहास:
इस सीट से सबसे पहले 1952 में कांग्रेस के अजित प्रसाद जैन चुनाव जिते थे. स्वतंत्र सेनानी सुंदरलाल इस सीट से 5 बार सांसद रहे हैं. 2009 में इस सीट से बहुजन समाज पार्टी के जगदीश सिंह राणा चुनाव जिते थे. 2014 में राघव लखनपाल ने कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान मसूद को करीब 65000 वोटों से हराकर सहारनपुर लोकसभा सीट जीती थी.