Ashwini Vaishnav: पीएम मोदी के विजन के अनुरूप रेलवे का विकास जारी
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Ashwini Vaishnav:  भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा के लिए निरंतर कार्य कर रहा है. आम लोगों की यात्रा को आसान बनाने के लिए रेलवे ने अब नॉन एसी कोच की संख्या में वृद्धि की ओर कदम बढ़ाया है. अगले दो सालों में लगभग 10,000 नॉन-एसी कोचों के उत्पादन की योजना बनाई गई है. जिसमें 5,300 से अधिक जनरल कोच शामिल होंगे. इसकी जानकारी रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत के दौरान दी. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलप का विजन है, उसके तहत रेलवे का विकास जारी है."

उन्होंने बताया, "वित्त वर्ष 2024-25 में रेलवे की योजना अमृत भारत जनरल कोचों सहित 2,605 जनरल कोच, अमृत भारत स्लीपर कोचों सहित 1,470 नॉन एसी स्लीपर, अमृत भारत एसएलआर कोचों सहित 323 एसएलआर कोच, 32 उच्च क्षमता वाले पार्सल वैन और 55 पैंट्री कार बनाने की है. वहीं, वित्त वर्ष 2025-26 में, रेलवे ने अमृत भारत जनरल कोच सहित 2,710 जनरल कोच, अमृत भारत स्लीपर कोच सहित 1,910 नॉन एसी स्लीपर, अमृत भारत एसएलआर कोच सहित 514 एसएलआर कोच, 200 उच्च क्षमता वाले पार्सल वैन और 110 पैंट्री कार बनाने की योजना बनाई है." उन्होंने बताया, "इस बार गर्मी के मौसम में यात्रियों के लिए करीब 10 हजार से ज्यादा स्पेशल ट्रेन चलाई गईं. ताकि, हैवी डिमांड को पूरा किया जा सका. हमारा पूरा ध्यान यात्रा की सुविधा और सुरक्षा पर केंद्रित है। पिछले साल 5,300 किमी नए ट्रैक जोड़े गए थे. ये भी पढ़ें: Keir Starmer's Victory First Speech: ब्रिटेन में 14 साल बाद लेबर पार्टी की वापसी के बाद कीर स्टार्मर का पहला भाषण, लोगों का किया थैंक्स, कहा- 'आपने हमारे देश को बदल दिया'- VIDEO

इस साल भी जुलाई तक 800 किमी से ज्यादा के ट्रैक बन चुके हैं. 'कवच' का रोल आउट भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. यात्रा से जुड़े हर पहलू पर हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं." उन्होंने आगे कहा, "जिस तरह पीएम मोदी यात्रा को सरल और सुगम बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. उसको मॉडिफाई तरीके से आगे बढ़ाना का प्रयास किया जा रहा है." अगर भारतीय रेल को देखें तो आम आदमी को जनरल और स्लीपर कोच में सीट उपलब्ध नहीं होने के कारण यात्रा करने में बहुत समस्या होती है. उन्हें मजबूरी में ज्यादा किराया भरकर एसी कोच में सफर करना पड़ता है, जिससे उनकी जेब पर काफी असर पड़ता है. निश्चित ही नॉन एसी कोच के उत्पादन के बाद आम आदमी को सीट बुकिंग के लिए ज्यादा जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी. तय तारीख और समय पर ट्रेन में सीट उपलब्ध हो जाएगी. ट्रेनों में नॉन एसी कोच बढ़ाने से यात्रियों को सफर करने के दौरान आसानी होगी. ज्यादा विकल्प होने के चलते लोगों को स्लीपर कोच में कंफर्म सीट नहीं मिलने की समस्या से छुटकारा मिलेगा.