मुंबई: इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर देश में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इन्ही चुनावों को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी महासचिवों के साथ एक बैठक की. दो घंटे तक यह बैठक चली जिसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली, रेलमंत्री पीयूष गोयल, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण और स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा मौजूद थे. ऐसे समय में जब बीजेपी इन तीनो राज्यों को लेकर रणनीति पर काम कर रही है तभी राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर हैं.
राहुल गांधी की यात्रा से तीनों राज्यों के कांग्रेस कार्यकर्ता अस्वस्थ नजर आ रहे हैं. वे इन तीन राज्यों में कांग्रेस पार्टी की रणनीति को लेकर ज्यादा चिंतित हैं. तीनों राज्यों में बीजेपी के लिए सत्ता विरोधी लहर है मगर इसका फायदा उठाने की जगह कांग्रेस अंदरूनी गुटबाजी से जूझ रही हैं.
तेजस्वी से सीखे गुर:
ऐसे समय में जब देश के तीन महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव होने हैं और कांग्रेस वहां पर मुख्य विपक्षी दल है कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को केंद्र और राज्य सरकारों के खिलाफ आक्रमण को लीड करना चाहिए था वे कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर हैं. वैसे राहुल गांधी को सियासत के गुर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से सिखने चाहिए जिन्होंने लालू यादव की गैरमौजूदगी में पार्टी को संभाला है.
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तेजस्वी यादव आए दिन नीतीश कुमार की सरकार पर हमला करते है. उन्होंने मुजफ्फरपुर बालिका आश्रयगृह के मामले को इतनी आक्रामकता से उठाया कि अंत में नीतीश कुमार को अपनी मंत्री का इस्तीफा लेना पड़ा. इसके आलावा बिहार के एक शहर में महिला के निर्वस्त्र घुमाए जाने की रिपोर्ट पर भी उन्होंने बिहार में कानून व्यवस्था को आड़े हाथो लिया था.
तेजस्वी, बिहार में विपक्ष के नेता की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं. वे सूबे की सरकार पर हमला करने का एक भी मौका नहीं छोड़ते. राहुल गांधी मगर ऐसा करने में असफल साबित हो रहे हैं. राहुल गांधी अपने पोलिटिकल टाइमिंग को सुधार नहीं पा रहे हैं. वे सोशल मीडिया पर एक्टिव तो हुए है मगर सोशल मीडिया से ट्विटर से चुनाव नहीं जीते जाते.
2019 में राहुल गांधी का मुकाबला नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी से है. यह जोड़ी 2014 आम चुनावों के बाद कई राज्यों से कांग्रेस को बेदखल कर बीजेपी का परचम लहरा चुकी है. नरेंद्र मोदी ऐसे राजनेता है जो कभी भी आसानी से हार नहीं मानते. ऐसे में अगर राहुल गांधी को उन्हें हराना है तो अपनी पोलिटिकल टाइमिंग सुधारनी होगी.