राहुल गांधी ने की पीएम नरेंद्र मोदी की मिमिक्री, बताया 5 साल पहले और अब कैसे देते हैं भाषण, देखें VIDEO
राहुल गांधी ने पीएम मोदी द्वारा किसानों को छह हजार रुपये सालाना दिए जाने की योजना को लेकर तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को डराकर उनसे कोई भी काम कराया जा सकता है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शुक्रवार को मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की मिमिक्री की. राहुल गांधी ने मिमिक्री करते हुए पीएम मोदी के पांच साल पहले और अब भाषण देने के अंदाज में आए बदलाव के बारे में बताया. इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि पांच साल पहले नरेंद्र मोदी जी भाषण यूं देते थे- 'मैं 56 इंच की छाती वाला चौकीदार भ्रष्टाचार को मिटाऊंगा.' इसके बाद राहुल गांधी ने कहा कि आज नरेंद्र मोदी भाषण यूं देते हैं- 'कांग्रेस पार्टी को मिटा दूंगा.' उन्होंने कहा कि 'अरे भइया कहां मिटाई. मध्य प्रदेश में सरकार बन गई, राजस्थान में बन गई, छत्तीसगढ़ में बन गई. दिल्ली में बनने जा रही है.'
राहुल गांधी ने पीएम मोदी द्वारा किसानों को छह हजार रुपये सालाना दिए जाने की योजना को लेकर तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को डराकर उनसे कोई भी काम कराया जा सकता है. राहुल गांधी ने कहा कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में कांग्रेस की सरकारों ने किसानों के कर्ज माफ किए. आगे भी जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार आएगी, वहां के मुख्यमंत्री किसानों के कर्ज माफ करेंगे. किसान कोई तोहफा नहीं चाहता है, भीख नहीं चाहता है, उसे अपना हक चाहिए.
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राहुल गांधी ने किसानों को 6,000 रुपये वार्षिक दिए जाने के केंद्र सरकार के निर्णय पर तंज कसते हुए कहा कि जैसे ही राज्यों में कांग्रेस की सरकारें आईं और किसानों के कर्ज माफ किए गए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घबरा गए और उन्होंने खुद को किसानों का हमदर्द बताया. इससे साफ हो गया है कि नरेंद्र मोदी को डराकर उनसे कोई भी काम कराया जा सकता है. यह भी पढ़ें- ममता बनर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर साधा निशाना, कहा- चुनाव के वक्त वो 'चायवाला' बनते हैं, बाद में 'राफेलवाला'
लोकसभा में किसानों के लिए इस सुविधा की घोषणा के दौरान के नजारे का जिक्र करते हुए गांधी ने कहा कि लोकसभा में बीजेपी सांसदों ने पांच मिनट तक मेज थपथपाई. बाद में पता चला कि किसानों को 17 रुपये दिन का दिया गया है. एक तरफ देश के 15 सबसे अमीर उद्योगपतियों के साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये माफ किए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर किसान परिवार को 17 रुपये. अगर इसका विभाजन किया जाए तो एक व्यक्ति के हिस्से में साढ़े तीन रुपये आते हैं. यह तो कमाल हो गया.
आईएएनएस इनपुट