कोरोना संकट के बीच पंजाब में सियासी बवाल, CM अमरिंदर सिंह के घर के बाहर अकाली दल का प्रदर्शन, सुखबीर बादल हिरासत में लिए गए

कोरोना वायरस के मामलों में कमी आते ही पंजाब (Punjab) में सियासत भी तेज हो गई है. मंगलवार को शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सिसवान (Siswan) में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) के आवास के बाहर राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह के घर के बाहर अकाली दल का प्रदर्शन (Photo Credits: ANI)

चंडीगढ़: कोरोना वायरस के मामलों में कमी आते ही पंजाब (Punjab) में सियासत भी तेज हो गई है. मंगलवार को शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सिसवान (Siswan) में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) के आवास के बाहर राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान कोरोना नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गयी. पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल-बीएसपी गठबंधन की जीत होगी : मजीठिया

कांग्रेस सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पंजाब पुलिस ने शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) को हिरासत में लिया. मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली सरकार पर हमला बोलते हुए सुखबीर सिंह बादल ने कहा “वैक्सीन में घोटाला, स्कॉलरशिप में घोटाला लगभग हर चीज़ में ये सरकार घोटाला कर रही है.”

उल्लेखनीय है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पंजाब से कांग्रेस को उखाड़ फेंकने के लिए अकाली दल पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है. इसी रणनीति के तहत कुछ दिन पहले ही शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने 2022 पंजाब विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ने के लिए गठबंधन किया. दोनों दल सुखबीर बादल के नेतृत्व में पंजाब में अगली सरकार बनाने का दावा कर रहे है.

बीएसपी अकाली दल के साथ गठबंधन के तहत 117 सीटों में से 20 पर चुनाव लड़ेगी, जिसमें दोआबा क्षेत्र की आठ सीटें, मालवा में सात और माझा क्षेत्र की पांच सीटें शामिल हैं. गठबंधन को ऐतिहासिक बताते हुए अकाली दल प्रमुख ने शनिवार को कहा कि यह केवल 2022 के विधानसभा चुनाव तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य में भी जारी रहेगा.

दोनों पार्टियां 25 साल बाद एक साथ आई हैं, पिछली बार जब उन्होंने संयुक्त रूप से चुनाव लड़ा था, तब उन्होंने 1996 के लोकसभा चुनाव में 13 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की थी. ज्ञात हो कि राज्य में 31 फीसदी दलित वोटों पर बीएसपी की अच्छी पकड़ समझी जाती है. इन वोटों का मुख्य रूप से दोआबा क्षेत्र की 23 सीटों पर दबदबा है.

उधर, पंजाब की कांग्रेस इकाई में हुई गुटबाजी को समाप्त करने के लिए गठित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के तीन सदस्यीय दल ने रविवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात कर उनके साथ चर्चा की. सूत्रों ने कहा कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पंजाब के पार्टी प्रभारी सह महासचिव हरीश रावत और पूर्व सांसद जे पी अग्रवाल ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के साथ विचार-विमर्श किया. यह समिति पहले ही पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपने सुझाव संबंधी रिपोर्ट सौंप चुकी है. आने वाले समय में पंजाब कांग्रेस में बड़े बदलाव होने की संभावना है. (एजेंसी इनपुट के साथ)

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