Punjab Election 2022: पंजाब के CM चरणजीत सिंह चन्नी के भाई ने की बगावत, निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव, जानें वजह

पंजाब (Punjab) के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (CM Charanjit Singh Channi) के भाई मनोहर सिंह चन्नी (Manohar Singh Channi) को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया है, जिसके बाद अब मनोहर सिंह चन्नी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.

सीएम चरणजीत सिंह चन्नी और उनके भाई मनोहर सिंह (Photo Credit : Facebook & Twitter)

Punjab Assembly Election 2022, 16 जनवरी: पंजाब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (CM Charanjit Singh Channi) के भाई मनोहर सिंह चन्नी (Manohar Singh Channi) ने निर्दलीय चुनाव (Independent Candidate) लड़ने की घोषणा की है. कांग्रेस ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की जिसमें चन्नी के भाई मनोहर सिंह चन्नी का नाम नहीं है. इसके बाद उन्होंने चुनाव निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया है. यूपी-पंजाब समेत 5 राज्यों में 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच मतदान, यहां पढ़े हर राज्य की पूरी डिटेल

मनोहर सिंह चन्नी ने कहा कि वो बस्सी पठाना सीट से चुनाव लड़ेंगे. उनके मुताबिक पार्टी के प्रधान ने उन्हें टिकट नहीं मिलने दिया. मुख्यमंत्री के भाई ने कैबिनेट मंत्री गुरकीरत कोटली के खिलाफ भी बयानबाजी की. चन्नी के भाई अपने इलाके में जमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं.

आपको बतां दे कि  11 जनवरी को चरणजीत सिंह चन्नी के चचेरे भाई जसविंदर सिंह धालीवाल ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. पंजाब के बीजेपी प्रभारी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उनको भाजपा की सदस्यता दिलाई थी.

कांग्रेस ने  117 में से 86 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. पहली लिस्ट में सिद्धू, सीएम चन्नी और पूर्व सीएम राजिंदर कौर भट्ठल समेत सभी मंत्रियों और विधायकों को प्रत्याशी घोषित किया गया है.

पंजाब में 117 सीटों पर चुनाव

पंजाब विधानसभा की 117 सीटों के लिए 14 फरवरी को मतदान होना है. पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली मौजूदा कांग्रेस सरकार को सत्ता विरोधी लहर और आम आदमी पार्टी (आप) से चुनौती मिल रही है, जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे विपक्षी पार्टिया का राज्य सरकार पर हमला तेज होता जा रहा है. पीएम मोदी की सुरक्षा में हुई चूक भी अब चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है, जिसके लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इस साल, पंजाब के चुनावी घमासान अधिक तेज है क्योंकि यहां बीजेपी को किसानों के विरोध जैसे मुद्दों से जूझना पड़ रहा है, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस अंदरूनी लड़ाई से निपट रहा है.

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