नई दिल्ली: तेल की कीमतों में आई हालिया तेजी से भारत का तेल आयात बिल पिछले पांच साल में नई ऊंचाई पर जा सकता है. अनुमान है कि वित्त वर्ष 2018-19 में कच्चे तेल के आयात का बिल बढ़कर 115 अरब डॉलर के करीब जा सकता है, जोकि पिछले साल 2017-18 के आयात बिल 88 अरब डॉलर से 30 फीसदी अधिक है. एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, "हालिया अनुमान बताता है कि तेल आयात का बिल वित्त वर्ष 2019 में 115 अरब डॉलर तक जा सकता है या इसे पार भी कर सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अगुवाई वाली राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक सरकार) के पांच साल के कार्यकाल में यह तेल आयात का सबसे ऊंचा स्तर है. मोदी सरकार में शुरुआत में वित्त वर्ष 2015 में तेल आयात बिल 112.74 अरब डॉलर था. हालांकि बाद के वर्षो में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में गिरावट आने से इसमें कमी आई."
हालांकि पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) ने अपनी हालिया समीक्षा में तेल आयात बिल 2017-18 के 88 अरब डॉलर से 27 फीसदी की वृद्धि के साथ 112 अरब डॉलर रहने का अनुमान लगाया है.
दिलचस्प बात यह है कि पीपीएसी का आकलन भारत के कच्चे तेल बास्केट में कच्चे तेल की कीमत 57.77 डॉलर प्रति बैरल और डॉलर के मुकाबले रुपये का मूल्य 70.73 रुपये प्रति डॉलर के आधार पर है, जबकि कच्चे तेल का भाव भारत के तेल बास्केट में काफी समय पहले ही 70 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हो गया है.
थोड़ी राहत की बात यह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में मार्च में थोड़ी मजबूती आई है जोकि जनवरी और फरवरी में 70-70 रुपये प्रति डॉलर चल रहा था. तेल आयात का बिल 115 अरब डॉलर का स्तर वित्त वर्ष 2013 और वित्त वर्ष 2014 के करीब है, जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में साल के दौरान अधिकतर समय कच्चे तेल का दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास था.