प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) शनिवार को तीन दिन की यात्रा पर यहां पहुंचे. उनकी यह यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब एशिया प्रशांत क्षेत्र के 16 देशों के बीच एक वृहद व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है और भारत (India) को इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिये मनाने के वास्ते नये सिरे से राजनयिक प्रयास तेज हुए हैं. एशिया प्रशांत क्षेत्र के 16 देशों का यह व्यापार समझौता यदि होता है तो यह दुनिया में सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र होगा.
प्रधानमंत्री मोदी यहां 16वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन (ASEAN-India Summit), 14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) की तीसरी शिखर बैठक में भाग लेंगे. आरसीईपी की बैठक में ही क्षेत्र के इस सबसे बड़े व्यापार समझौते पर बातचीत हो रही है. आसियान और पूर्वी एशिया के सालाना स्तर पर होने वाले शिखर सम्मेलन क्षेत्र के समक्ष उभरने वाले भू- रणनीतिक और आर्थिक मुद्दों को लेकर साझा रणनीति तय करने के मंच हैं. लेकिन इस बार सबसे ज्यादा जोर लंबे समय से चल रहे आरसीईपी व्यापार समझौते पर ही होगा.
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विभिन्न राजनयिक स्रोतों ने पीटीआई- भाषा से इस बात की पुष्टि की है कि भारत को छोड़कर आरसीईपी समूह के सभी 15 देश क्षेत्र के इस व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने को लेकर सहमत हैं. समूह के देशों के बीच सोमवार को शिखर बैठक होगी. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी इस यात्रा की शुरुआत से पहले नयी दिल्ली में एक वक्तव्य जारी कर कहा, "आरसीईपी शिखर बैठक में हम समूह की अब तक की बातचीत में हुई प्रगति पर गौर करेंगे. इस बैठक में हम सभी मुद्दों पर गौर करेंगे. शिखर सम्मेलन के दौरान हम देखेंगे की क्या माल एवं सेवाओं के व्यापार और निवेश के मामले में भारत के हितों को पूरी तरह से समायोजित किया गया है."
भारत-आसियान शिखर सम्मेलन के बारे में मोदी ने कहा कि बैठक में बढ़ती आर्थिक भागीदारी और समुद्री क्षेत्र में बढ़ते सहयोग पर हमारा जोर रहेगा. इसके साथ ही आसियान की अगुवाई में प्रणालियों को विस्तृत करने पर भी जोर रहेगा. दस देशों के समूह आसियान का यह वार्षिक सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब चीन ने दक्षिण चीन सागर के विवादित क्षेत्र तथा हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में आक्रामक रुख अपनाया हुआ है. इस दौरान आसियान समूह का भारत के अलावा अमेरिका, जापान, रूस और चीन के साथ अलग-अलग शिखर सम्मेलन होगा.
आसियान के सदस्यों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यामां और कंबोडिया शामिल हैं. पूर्वी एशिया सम्मेलन में आसियान देशों के अलावा भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस हिस्सा लेंगे. आसियान सम्मेलन में व्यापार व निवेश संबंधी मुद्दों पर जोर रहने का अनुमान है जबकि पूर्वी एशिया सम्मेलन में समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद, परमाणु अप्रसार तथा पलायन से संबंधित मुद्दों पर जोर दिया जाएगा.