PM Modi 70th Birthday: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिफर से शिखर तक की कहानी किसी कमर्शियल फिल्म स्क्रिप्ट से कम नहीं है. इनका जन्म मेहसाणा जिले के वडनगर में 17 सितंबर 1950 में दामोदरदास मूलचंद मोदी और हीराबेन मोदी के गरीब परिवार में हुआ था. पिता दामोदरदास मूलतः बनिया समुदाय से थे. लेकिन इतना पैसा नहीं था कि बड़ा कारोबार शुरु कर सकें. वडनगर रेलवे स्टेशन के पास चाय की छोटी सी टपरी से उनके बड़े परिवार का गुजारा चलता था. पिता के इस काम में बालक नरेंद्र और उनके भाई भी हाथ बंटाते थे. चाय की ज्यादा बिक्री के लिए नरेंद्र चाय की केतली लेकर वडनगर से गुजरनेवाली ट्रेनों के भीतर चक्कर लगाते थे. यद्यपि उन्हें पढाई का भी बहुत शौक था. वे सैनिक विद्यालय में शिक्षा अर्जित करना चाहते थे, ताकि वे आसानी से सेना में शामिल हो जायें, मगर सैनिक स्कूल की भारी-भरकम फीस भरने में असमर्थ पिता दामोदर दास ने जब मना कर दिया तो वे बहुत दुःखी हुए थे. उन्होंने वडनगर के भगवताचार्य नारायणाचार्य स्कूल में एडमिशन लिया. स्कूल के दिनों के उनके मित्र आज भी कहते हैं कि नरेंद बहुत मेहनती और जुनूनी छात्र थे, जिस कार्य को शुरु करते थे, उसे पूरा करके ही मानते थे. उन्हें पुस्तकों से भी बहुत प्यार था, उनका ज्यादातर समय लाइब्रेरी में बीतता था. स्कूल में किसी भी विषय पर डिबेट होता तो वे बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते थे. वे कुशल तैराक भी थे. स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानते थे. उनके कार्यों से नरेंद्र बहुत प्रभावित थे. यही वजह थी कि वे एक अलग जिंदगी जीना चाहते थे, इसलिए पारम्परिक जीवन में बंधकर कभी नहीं रहे. साल 1967 में 17 वर्ष की आयु में रूटीनी लाइफ से ऊबकर उन्होंने घर छोड़ दिया. दो वर्षों तक इधर-उधर भटकते रहे. PM Narendra Modi 70th Birthday: आज है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन, जानें इनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
आरएसएस में प्रवेश
इसी दरम्यान वे अहमदाबाद पहुंचे. यहां उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता मिल गयी. यहां उन्होंने लंबे समय तक आरएसएस के प्रचारक के रूप में कार्य किया. 1980 के दशक में उन्हें गुजरात की बीजेपी ईकाई में शामिल कर लिया गया. 1988-89 में वे भाजपा की गुजरात ईकाई के महासचिव बनाए गए. लाल कृष्ण आडवाणी के साथ 1990 की सोमनाथ से अयोध्या की रथ यात्रा की सफलता में मोदी की अहम भूमिका रही. इसके बाद वे भाजपा की ओर से कई राज्यों के प्रभारी बनाए गए. 1995 में पार्टी ने उन्हें उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय सचिव और पांच राज्यों का पार्टी प्रभारी बनाया गया. 1998 में उन्हें महासचिव (संगठन) बनाया गया. इस पद पर वो अक्टूबर 2001 तक रहे. 2001 में कच्छ में भूकंप से हुई भारी तबाही में तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की निष्क्रियता को देखते हुए भाजपा ने उनकी जगह नरेंद्र मोदी को गुजरात की बागडोर सौंपी.
पद के साथ मिली चुनौती
नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री तो बन गये, मगर यहां उन्हें कई चुनौतियों से जूझना पड़ा. सत्ता संभालने के 5 महीने बाद ही गोधरा कांड हुआ, जिसमें कई हिंदू कारसेवक मारे गए. इसके तुरंत बाद फरवरी 2002 में गुजरात में हिंदू-मुस्लिम के बीच दंगे भड़क उठे, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात का दौरा किया, और नरेंद्र मोदी को 'राजधर्म निभाने' की बात कहकर जता दिया कि पार्टी उनसे बहुत खुश नहीं है. इस दंगे में मोदी पर कई संगीन आरोप लगे थे. उन्हें पदमुक्त करने की बात भी पार्टी में उठी, लेकिन तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने उनका बचाव करते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बनाये रखा. यद्यपि मुख्यमंत्री मोदी के खिलाफ दंगों से संबंधित कोई आरोप कोर्ट में सिद्ध नहीं हुए. उधर दिसंबर 2002 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने गुजरात चुनाव में भारी जीत हासिल की. इसके बाद नरेंद्र मोदी को पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी. गुजरात में अपनी लोकप्रियता के दम पर उन्होंने 2007 और फिर 2012 में भी भारी बहुमत से विधानसभा का चुनाव जीता. इस दौरान गुजरात विकास की उनकी गूंज विदेशों तक पहुंची.
2009 से नरेंद्र मोदी का भाग्यचक्र बदला
2009 के लोकसभा चुनाव भाजपा ने लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में लड़ा. इस चुनाव में पार्टी को भारी हार का सामना करना पड़ा. यूपीए सत्ताच्यूत हुई और अडवानी का जादू कमजोर पड़ने लगा. यह हार नेतृत्व बदलने का इशारा था. नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली में से किसी एक को पार्टी की कमान सौंपने की चर्चा गरम थी. लेकिन पार्टी प्रमुखों का ध्यान 2012 में लगातार तीसरी बार गुजरात विधानसभा चुनाव जीतनेवाले नरेंद्र मोदी की ओर गया. मार्च 2013 में नरेंद्र मोदी को बीजेपी संसदीय बोर्ड में जगह मिली और उन्हें सेंट्रल इलेक्शन कैंपेन कमिटी का चेयरमैन बनाया गया. यह स्पष्ट संकेत था कि 2014 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जायेगा.
दो बार प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य
2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी मुख्य चेहरा रहे. भाजपा स्पष्ट बहुमत से सत्ता पर काबिज हुई. यहीं से राष्ट्रीय राजनीति में 'मोदी युग' की शुरुआत हुई. भाजपा ने अकेले दम पर 282 सीटों पर जीत दर्ज की. मोदी की लोकप्रियता का यह आलम था कि इस चुनाव में वे दो लोकसभा सीटों वाराणसी और वडोदरा से चुनाव लड़े और दोनों जीते. 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. अगले पांच वर्षों में पीएम मोदी ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. उनकी लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से बढ रहा था. नोटबंदी जैसे कई जोखिमपूर्ण फैसले के बावजूद अगले यानी 2019 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी ने और बेहतरी से जीता, जब भाजपा को 303 सीटें हासिल हुईं.यहां तक आते-आते मोदी की जो सबसे बड़ी सफलता थी, वह यह कि उन्होंने विपक्ष का पूरी तरह से सफाया कर दिया था. इस जीत ने मोदी को एक नये भारत के निर्माण में मदद की. पिछले दो सालों में उन्होंने कई राष्ट्रव्यापी फैसले लिये. अभी भी उनकी लोकप्रियता का ग्राफ कम नहीं हुआ है. कई चैनलों के हालिया सर्वे बताते हैं कि आज भी 60 फीसदी जनता मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहती है.
शुभ ग्रह-नक्षत्र हैं मोदी के साथ!
ज्योतिषियों के अनुसार अगर नरेंद्र दामोदम मोदी की जन्म तिथि 17 सितंबर 1950 समय दिन के 11 बजे और स्थान मेहसाणा गुजरात सही है तो उनके ग्रह नक्षत्र बताते हैं कि उनके सितारे आज भी बुलंदियों की ओर अग्रसर हैं. अपने शुभ ग्रहों के कारण ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश ही नहीं विदेशों में भी भारी लोकप्रियता अर्जित कर रहे हैं. अगर उनके ग्रहों का अवलोकन करें तो स्पष्ट दिखता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली में कई शुभ योग बने हुए हैं, जो समय समय पर उनके उत्थान के साथ साथ उन्हें परेशानियों और शत्रुओं से भी बचाते रहेंगे. जैसे गजकेसरी योग, मूसल योग, केदार योग, रूचक योग, वोशि योग, भेरी योग, चंद्र मंगल योग, नीच भंग योग, अमर योग, कालह योग, शंख योग तथा वरिष्ठ योग. ज्योतिषियों का मानना है कि आनेवाले दिनों में भी उनके योग बहुत मजबूत स्थिति में हैं.