नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने रविवार को कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह (Raman Singh) के सांसद पुत्र अभिषेक सिंह के पनामा पेपर्स (Panama) मामले सहित पूर्ववर्ती सरकार में हुए ''भ्रष्टाचार के सभी मामलों'' की जांच कराई जाएगी और इस संदर्भ में बहुत जल्द आधिकारिक निर्णय लिया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बस्तर क्षेत्र से सुरक्षाबलों की वापसी अभी नहीं होगी. सभी से बातचीत के बाद इसपर फैसला लिया जाएगा. बघेल ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ विशेष बातचीत में कहा, " जब पनामा पेपर्स में नाम होने की वजह से पाकिस्तान में नवाज शरीफ की कुर्सी जा सकती है तो फिर अभिषेक सिंह की जांच क्यों नहीं होगी?''
यह पूछे जाने पर कि अभिषेक सिंह के मामले जांच के लिए किसी समिति या जांच दल का गठन किया जाएगा तो मुख्यमंत्री ने कहा, ''इस बारे में जल्द निर्णय होगा और आप लोगों (मीडिया) को सूचित किया जाएगा."उल्लेखनीय है कि पिछले साल बहुचर्चित “पनामा पेपर्स” में अभिषेक सिंह का नाम आया था. अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करते हुए अभिषेक ने उस वक्त कहा था कि उनके तथाकथित विदेशी अकाउंट से संबंधित जो विषय उठाए जा रहे हैं, वो पूरी तरह से असत्य एवं राजनीति से प्रेरित हैं. उनका कहना था कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है.
SIT का मुख्य उद्देश्य राजनीतिक षड्यंत्र का खुलासा करना
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच के लिए एसआईटी के गठन का मुख्य उद्देश्य ‘राजनीतिक षड्यंत्र’ का खुलासा करना है. उन्होंने कहा कि प्रारंभिक रूप से दो बातें हैं, जब 23 मई और 24 मई को परिवर्तन यात्रा में शामिल नेताओं को सुरक्षा दी गई तब 25 तारीख को सुरक्षा क्यों हटा ली गई. इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं. दूसरा यह कि नक्सली, घटना को अंजाम देने के बाद तुरंत निकल जाते हैं. यह पहली घटना है जिसमें पूछा गया कि नंद कुमार पटेल कौन है, दिनेश पटेल कौन है, महेंद्र कर्मा कौन है. जैसे ही वह लोग मिले उन्होंने गोलीबारी बंद कर दी. इसलिए उनका उद्देश्य केवल इन नेताओं को मारना था. इसका मतलब यह है कि यह षड़यंत्र था.
बघेल ने कहा कि " फिलहाल बस्तर क्षेत्र से सुरक्षा बलों की वापसी नहीं होगी." उन्होंने कहा कि" इन 15 वर्षों में कश्मीर के बाद सबसे ज्यादा पैरामिलिट्री फोर्स यदि कहीं है वह हमारे बस्तर में हैं. इसके बावजूद समस्या समाप्त नहीं हुई है. इससे निपटने का दूसरा रास्ता सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक है और इसके लिए प्रभावितों से बात की जानी चाहिए. फिलहाल सुरक्षा बलों को हटाना नुकसानदायक हो सकता है."
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वादों को पूरा करने के लिए धन की व्यवस्था करने के सवाल पर बघेल ने कहा कि "घोषणा पत्र पांच वर्ष के लिए है. यदि एक ही दिन में सभी घोषणाओं को पूरा करेंगे तो इसके लिए बजट कहां से आएगा. जो संसाधन है उससे वादों को पूरा किया जाएगा. चाहे वह शराबबंदी का मामला हो, कर्मचारियों के नियमितीकरण का मामला हो, शिक्षाकर्मियों की बात हो या बिजली बिल आधा करने की बात हो.
मंत्रिमंडल के चयन के सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेता जीतकर आए हैं. लेकिन वह जानते हैं कि मुख्यमंत्री समेत 13 सदस्यों की बाध्यता है. तीन की नियुक्ति हो गई है अब 10 और लेना है. जो नहीं बन पाएंगे दूसरे क्षेत्रों में उनके अनुभव का लाभ लिया जाएगा. उन्हें संगठन की और निगम मंडल की जिम्मेदारी दी जाएगी जिससे गुणवत्ता पूर्वक काम हो सके.
बदले की भावना से नहीं काम करेगी सरकार
सरकार बदले की भावना से काम नहीं करेगी इस बारे में पूछे जाने पर बघेल ने कहा कि "पिछली सरकार ने मुझ पर व्यक्तिगत रूप से हमला किया. उसका परिणाम यह हुआ कि 15 साल की सरकार 15 सीट में सिमट गई. उसकी सजा जनता ने दे दी है, मुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है. लेकिन नसबंदी कांड, नान घोटाला समेत जो गड़बड़ियां हुईं है इनकी जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी." सरकार के कामकाज को लेकर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि सरकार गढ़बो छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को लेकर आगे बढ़ेगी. इसके लिए चुस्त-दुरुस्त प्रशासन होना चाहिए और कोई भी आदमी काम लेकर किसी भी दफ्तर में जाए वहां उनका काम नहीं रुकना चाहिए.