मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत में पिछले एक महीने से सरकार गठन हो लेकर सियासी ड्रामा चला रहा था. अब तक यह कहा जा रहा था कि राज्य में बीजेपी-शिवसेना के बीच गठबंधन में दरार पड़ने के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस- एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाएगी. लेकिन वह सरकार बनाने को लेकर ख्वाब देखते ही रह गई. शनिवार सुबह बीजेपी ने अजित पवार (Ajit Pawar) की मदद से सरकार का गठन कर लिया है. जिसमें देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार शपथ ली तो वहीं अजित पवार डिप्टी सीएम बने हैं. सरकार गठन के बाद शरद पवार (Sharad Pawar) पर आरोप लगा कि उनके रजामंदी से उनके भतीजे बीजेपी को सरकार गठन के लिए समर्थन दिया. लेकिन पार्टी प्रमुख पवार ने इन सभी बातों को एक ट्वीट कर इंकार कर दिया.
वहीं मुंबई के वाईबी चव्हाण हाल में एनसीपी, शिवसेना द्वारा आयोजित साझा प्रेस कांफ्रेंस में शरद पवार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि शिवसेना, एनसीपी- कांग्रेस के साथ मिलकर वे महाराष्ट्र में सरकार गठन करना चाहते थे. लेकिन सुबह देखा कि बीजेपी ने अजित पवार की मदद से सरकार बना लिया. बीजेपी के साथ अजित पवार का जाना जो एनसीपी के खिलाफ है. वे बताना चाहते है कि अजित पवार ने बीजेपी के साथ जो भी फैसला लिया है उसके बारे में उन्हें कुछ नहीं मालूम. ऐसे में अजित पवार के खिलाफ जो भी पार्टी को एक्शन लेना होगा लिया जाएगा. यह भी पढ़े: महाराष्ट्र में रातोंरात पलटी राजनीति, अजीत पवार का फैसला बताकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने छुड़ाया पीछा
शरद पवार मीडिया को संबोधित करते हुए:
WATCH: Shiv Sena-NCP address the media in Mumbai https://t.co/gYVOYSQVC3
— ANI (@ANI) November 23, 2019
अजित पवार के खिलाफ की जायेगी कार्रवाई: शरद पवार
NCP Chief Sharad Pawar: Action against Ajit Pawar will be taken as per the procedure. #Maharashtra pic.twitter.com/kSJ1OIhjSu
— ANI (@ANI) November 23, 2019
बता दें कि महाराष्ट्र में 12 नंवबर को राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद आज सुबह तड़के राज्य से राष्ट्रपति शासन खत्म खत्म किया गया. जिसके बाद देवेंद्र फडणवीस को राज्य का दूसरी बार मुख्यमंत्री तो वहीं एनसीपी प्रमुख अजित पवार को डिप्टी सीएम के पद के लिए शपथ दिलवाई गई. राज्यपाल द्वारा फडणवीस को मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण करने के बाद उनकी सरकार को बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल के सामने 30 नंवबर को समय दिया गया है.