K. Natwar Singh Passes Away: इंदिरा-राजीव के करीबी नटवर सिंह ने रिश्तों का हमेशा रखा मान, माफी मांगने के लिए घर पहुंची थीं सोनिया गांधी!

कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का शनिवार देर रात निधन हो गया. अपने राजनीतिक करियर में कई अहम पदों पर रहने वाले नटवर सिंह के सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी से रिश्ते कभी मधुर तो कभी तल्ख रहे.

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K. Natwar Singh Passes Away: कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का शनिवार देर रात निधन हो गया. अपने राजनीतिक करियर में कई अहम पदों पर रहने वाले नटवर सिंह के सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी से रिश्ते कभी मधुर तो कभी तल्ख रहे. आलाकमान के करीबियों में हमेशा नटवर सिंह का नाम शुमार रहा. यही वजह है कि कांग्रेस के राजदार भी माने जाते थे. गांधी परिवार से करीबी ही उनकी सियासत में एंट्री की मजबूत वजह बनी. नौकरशाह से सियासतां का सफर एक जैसा नहीं रहा. पार्टी में रहे या फिर खुद को अलग किया तब भी अपने कद के साथ समझौता नहीं किया.

प्रशासनिक सेवा का सफर 1953 में शुरू हुआ. भारतीय विदेश सेवा के लिए चुने गए. अहम पदों पर रहे लेकिन फिर सियासत के प्रति रुचि और गांधी फैमिली से नजदीकी के चलते नौकरी छोड़ दी.1984 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इंदिरा गांधी ने उन्हें राजस्थान के भरतपुर से चुनावी मैदान में उतारा और सफर का आगाज शानदार जीत से हुआ. बतौर सांसद सदन में पहुंचे। बताया जाता है कि नटवर सिंह ही वही शख्स थे, जिन्होंने राजीव गांधी की मौत के बाद सोनिया गांधी को राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. पूर्व दिवंगत कांग्रेस नेता के पार्टी संग मधुर और तल्ख संबंध रहे. यह भी पढ़ें:  K Natwar Singh Passes Away: पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का निधन, गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में ली आखिरी सांस

इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ उनका रिश्ता बहुत अच्छा था तो यूपीए-1 सरकार में उनके रिश्ते सोनिया गांधी से बिगड़ भी गए. 2005 में मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। वजह तेल के खेल नाम से सुर्खियों में रही. ईरान को तेल के बदले अनाज कांड को लेकर रिपोर्ट सामने आई। इसमें नटवर सिंह का नाम शामिल था. इसके बाद रिश्तों में खटास आ गई. नटवर सिंह ने 'द लिगेसी ऑफ नेहरू: ए मेमोरियल ट्रिब्यूट' और 'माई चाइना डायरी 1956-88' सहित कई किताबें भी लिखीं. उन्होंने उनकी आत्मकथा 'वन लाइफ इज नॉट इनफ' में गांधी परिवार को लेकर कई दावे भी किए. जिस पर सियासी भूचाल आ गया.

उन्होंने दावा किया था कि साल 2004 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आए तो सोनिया गांधी ने राहुल की वजह से प्रधानमंत्री का पद नहीं संभाला. क्योंकि राहुल को डर था कि सोनिया के साथ भी इंदिरा और राजीव गांधी जैसा न हो. बताते हैं कि नटवर सिंह की किताब के बाजार में आने से पहले सोनिया और प्रियंका गांधी उनके घर भी गई थीं, उनसे माफी मांगी थी. जब-जब नटवर सिंह उनकी आत्मकथा को लेकर सवाल किया जाता था तो वह इसे टाल दिया करते थे.

उन्होंने कभी अपनी आत्मकथा में लिखी बातों पर सफाई नहीं दी. नटवर सिंह 1966 से 1971 के बीच पाकिस्तान में भारत के राजदूत थे. इसके अलावा उन्होंने यूके, अमेरिका और चीन में भी सेवाएं दी. 2004-05 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में विदेश मंत्री रहे. इससे पहले 1985 में उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में इस्पात, कोयला और खान तथा कृषि विभाग की जिम्मेदारी संभाली. वह 1987 में न्यूयॉर्क में आयोजित निरस्त्रीकरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गए. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 42वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया था.

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