MP: 'फर्जी हनी ट्रैप' कांड में  कांग्रेस नेता कमलनाथ को मिली राहत, पेन ड्राइव से जुड़ी अर्जी खारिज

इंदौर, 2 मार्च: इंदौर की जिला अदालत ने सनसनीखेज 'हनी ट्रैप' कांड की पेन ड्राइव के संबंध में राज्य पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को तीन वर्ष पूर्व भेजे गये नोटिस को लेकर दायर बचाव पक्ष की एक अर्जी शनिवार को खारिज कर दी. अभियोजन पक्ष के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

बचाव पक्ष ने अपनी अर्जी में कहा था कि पुलिस ने ‘हनी ट्रैप’ कांड में आरोपियों को फंसाया है और कमलनाथ से इस मामले की कथित पेन ड्राइव जब्त करके इसकी जांच आवश्यक है, ताकि गुण-दोष के आधार पर मुकदमे का निपटारा हो सके. एसआईटी ने कमलनाथ के उस कथित बयान के आधार पर वर्ष 2021 में नोटिस जारी किया था, जिसमें उन्होंने ‘हनी ट्रैप’ कांड की पेन ड्राइव उनके पास होने का दावा किया था.

बचाव पक्ष ने एक विशेष अदालत में अर्जी दायर कर गुहार लगाई थी कि कमलनाथ को नोटिस जारी किए जाने के बाद एसआईटी की ओर से उठाए गए कदमों का ब्योरा अभियोजन से तलब किया जाए. अभियोजन पक्ष ने इसपर आपत्ति जताते हुए अदालत को बताया था कि बचाव पक्ष की यह अर्जी ‘‘आगामी अनुसंधान’’ से संबंधित है और आरोपियों को जांच में दखलअंदाजी का कोई अधिकार नहीं है.

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों और मामले के रिकॉर्ड पर गौर करने के बाद कहा कि अभियोजन ने 'हनी ट्रैप' कांड में कमलनाथ से कोई पेन ड्राइव या सीडी जब्त नहीं की है और बचाव पक्ष की अर्जी ‘‘संभावनाओं पर आधारित’’ है. दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के तहत एसआईटी की ओर से जारी नोटिस के मुताबिक, कमलनाथ ने 21 मई 2021 को संवाददाताओं को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कथित रूप से कहा था कि हनी ट्रैप प्रकरण की पेन ड्राइव उनके पास मौजूद है.

कमलनाथ के इस बयान के बाद एसआईटी ने उन्हें नोटिस जारी किया था, जिसपर कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से कहा था, "(हनी ट्रैप कांड की) यह पेन ड्राइव मेरे पास कहां है? यह तो आपमें (संवाददाताओं) से बहुत लोगों के पास है. यह पेन ड्राइव तो पूरे प्रदेश में घूम रही है." अधिकारियों ने बताया कि ‘हनी ट्रैप’ गिरोह की पांच महिलाओं और उनके ड्राइवर को भोपाल और इंदौर से सितंबर 2019 में गिरफ्तार किया गया था.

पुलिस ने इस मामले में अदालत में 16 दिसंबर 2019 को आरोपपत्र दाखिल करते हुए कहा था कि यह संगठित गिरोह मानव तस्करी के जरिये भोपाल लाई गई युवतियों का इस्तेमाल करके धनवान व्यक्तियों और ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों को अपने जाल में फांसता था. पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह फिर अंतरंग पलों के खुफिया कैमरे से बनाये गये वीडियो, सोशल मीडिया चैट के स्क्रीनशॉट आदि आपत्तिजनक सामग्री के आधार पर ऐसे लोगों को ब्लैकमेल कर उनसे धन ऐंठता था.

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