लोकसभा चुनाव 2019: बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने खोला राज, इस वजह से नहीं की शादी
मायावती ने कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन कमजोर समाज के उत्थान में समर्पित कर दिया.
बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती (Mayawati) ने शादी न करने को लेकर खुलासा किया है. दरअसल, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की मुख्यमंत्री के रूप में मायावती के कार्यकाल के दौरान राज्य में विभिन्न स्थानों पर उनकी आदमकद प्रतिमाओं (Statues) और पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी बनाए जाने का सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को बचाव किया. उन्होंने कहा कि ये प्रतिमाएं ‘लोगों की इच्छा’ जाहिर करती हैं. इसके साथ ही मायावती ने कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन कमजोर समाज के उत्थान में समर्पित कर दिया और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ‘मैंने अविवाहित रहने का फैसला भी किया.'
मायावती ने कहा कि अतीत में कांग्रेस पार्टी ने भी देशभर में पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पी. वी. नरसिंह राव सहित अपने नेताओं की मूर्तियां लगवाई हैं. मायावती ने राज्य सरकारों द्वारा मूर्तियां लगवाने की हालिया घटनाओं का भी जिक्र किया जिसमें गुजरात में ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ नाम से चर्चित सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा शामिल है. इसके अलावा, मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश की वर्तमान बीजेपी सरकार ने सरकारी राजस्व से अयोध्या में भगवान राम की 221 मीटर ऊंची प्रतिमा निर्माण की पहल की है. उन्होंने कहा कि स्मारक बनवाना और मूर्ति लगवाना भारत में ‘नई बात’ नहीं है.
मायावती ने शीर्ष अदालत में हलफनामे में कहा, ‘‘इसी तरह से, केन्द्र और राज्य में सत्तासीन अन्य राजनीतिक दलों ने समय समय पर सरकारी धन से सार्वजनिक स्थानों पर विभिन्न अन्य नेताओं की मूर्तियां लगवाई हैं लेकिन न तो मीडिया और ना ही याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में कोई सवाल उठाया है.’’ सुप्रीम कोर्ट एक अधिवक्ता द्वारा 2009 में दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि मायावती के उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते हुए विभिन्न स्थानों पर उनकी और बीएसपी चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां लगवाने के लिए 2008-09 और 2009-10 के राज्य बजट से करीब दो हजार करोड़ रुपये इस्तेमाल किए गए.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने एक हलफनामे में कहा कि प्रतिमाएं और स्मारक बनाने के पीछे की मंशा समाज सुधारकों के मूल्यों और आदर्शों का प्रचार करना है ना कि बीएसपी के चिह्म का प्रचार या उनका खुद का महिमामंडन करना. मायावती ने कहा कि राज्य विधानसभा की मंजूरी के बाद बजटीय आवंटन के जरिए स्मारकों के निर्माण और प्रतिमाएं लगाने को मंजूरी दी गई. मायावती ने प्रतिमाओं के निर्माण में सार्वजनिक कोष के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज करने की मांग करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित और कानून का घोर उल्लंघन बताया. यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी नेता ने प्रियंका गांधी का नाम लिए बगैर साधा निशाना, कहा- स्कर्ट वाली पहनने लगी साड़ी, कांग्रेस को और कितने अच्छे दिन चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट ने आठ फरवरी को मौखिक टिप्पणी में कहा था कि मायावती को उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर अपनी और पार्टी के चिह्न हाथी की मूर्तियां लगाने के लिए इस्तेमाल किया गया सार्वजनिक धन सरकारी कोष में जमा कराना चाहिए. पीठ ने तब कहा था, ‘‘सुश्री मायावती सारा पैसा वापस करिए. हमारा मानना है कि मायावती को खर्च किए गए सारे पैसे का भुगतान करना चाहिए.’' उसने कहा था, ‘‘हमारा फिलहाल मानना है कि मायावती को अपनी और अपनी पार्टी के चिह्न की प्रतिमाओं पर खर्च किया जनता का पैसा सरकारी राजकोष में जमा कराना होगा.’’
भाषा इनपुट