Maharashtra Politics: एनसीपी टूटने के 55 दिन बाद शरद पवार का दावा, पार्टी में 'कोई विभाजन नहीं'

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को अपने भतीजे अजीत पवार के नेतृत्व वाले अलग हुए समूह के 55 दिन बाद यह दावा करके एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया कि उनकी पार्टी विभाजित नहीं हुई है.

Maharashtra Politics: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को अपने भतीजे अजीत पवार के नेतृत्व वाले अलग हुए समूह के 55 दिन बाद यह दावा करके एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया कि उनकी पार्टी विभाजित नहीं हुई है. 83 वर्षीय एनसीपी सुप्रीमो ने मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा, "अजित पवार हमारे नेता हैं और उन्होंने एक अलग रास्ता अपनाया है, सिर्फ इस वजह से इसे विभाजन कहने का कोई कारण नहीं है."

शरद पवार ने कहा कि पार्टी अभी भी एकजुट है और जिन नेताओं ने अलग रास्ता अपनाया है, वे भी हमारे हैं. उन्होंने कहा, “विभाजन क्या है? जब पार्टी का एक बड़ा वर्ग राष्ट्रीय स्तर पर अलग हो जाता है, जो यहां (एनसीपी में) नहीं है. कुछ लोग अलग रुख अपनाकर चले गए हैं. लोकतंत्र में यह उनका अधिकार है, इसलिए इसे विभाजन कहने की कोई जरूरत नहीं है.''

बयानों ने जैसे ही अटकलों को हवा दी, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि शरद पवार का बयान अजीत पवार के नेतृत्व वाले समूह को विधायी मान्यता की कमी के संदर्भ में था. नेता ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, “एकनाथ शिंदे मामले के विपरीत, विधायी समूह को अभी तक अध्यक्ष द्वारा मान्यता नहीं दी गई हैै, हमने पहले ही विधायिका और चुनाव आयोग को इस बारे में सूचित कर दिया है. इसलिए, विधायी स्थिति स्पष्ट होने तक इसे 'विभाजन' कहने का कोई औचित्य नहीं है.''

शरद पवार की गुगली उनकी बेटी और एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले द्वारा भी इसी तरह का रुख अपनाने के एक दिन बाद आई. सुले ने कहा था, “एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार साहब हैं, महाराष्ट्र के अध्यक्ष जयंत पाटिल हैं. अजित पवार भी हमारी पार्टी के वरिष्ठ विधायक और नेता हैं और हम सभी मिलकर काम कर रहे हैं. '' यह तर्क देते हुए कि कोई "विभाजन" नहीं हुआ है, सुले ने कहा कि उन्होंने अजीत पवार के मामले में महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को एक अभ्यावेदन दिया है और उनके जवाब का इंतजार है.

पिछले सात हफ्तों में छिटपुट रूप से आए बयानों की अचानक बाढ़ ने राज्य में राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है, जो राष्ट्रीय विपक्षी गठबंधन इंडिया के 31 अगस्त-1 सितंबर होने वाली तीसरी बैठक के एक सप्‍ताह के पूर्व आया है. महा विकास अघाड़ी के सहयोगी दल कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष (विधानसभा) विजय वडेट्टीवार और शिवसेना (यूबीटी) के नेता प्रतिपक्ष (परिषद) अंबादास दानवे ने पवार परिवार के बयानों पर नाराजगी जताते हुए कहा, "वे लोगों और एमवीए कार्यकर्ताओं को भ्रमित करते हैं". सत्तारूढ़ गठबंधन बीजेपी के राज्य प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले, सुधीर मुनगंटीवार, प्रवीण दारेकर और अन्य जैसे नेताओं ने कहा कि "(शरद) पवार के बयानों का मतलब है कि वह अजीत पवार के समान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की विकासात्मक नीतियों का पूरा समर्थन कर रहे हैं."

राकांपा ने यह दोहराते हुए कि पार्टी राष्ट्रीय विपक्षी समूह का हिस्सा है, उन सिद्धांतों को भी खारिज कर दिया है कि सीनियर पवार के बयान पार्टी के कार्यकर्ताओं में भ्रम पैदा कर सकते हैं और इंडिया गठबंधन में भी दरार पैदा कर सकते हैं. अजित पवार का अलग हुआ राकांपा गुट 1 जुलाई से दावा कर रहा है कि "कोई विभाजन नहीं" है और शरद पवार उनके नेता बने रहेंगे. दो मौकों पर, अजीत पवार और उनके समर्थकों ने शरद पवार से मुलाकात की और उनका सम्मान किया और "उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन लिया."

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