महाराष्ट्र: इंदिरा गांधी पर कांग्रेस-एनसीपी आमने सामने, महा विकास अघाड़ी में फिर छिड़ेगी जुबानी जंग!

महाराष्ट्र (Maharashtra) की महा विकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) में एक बार फिर वैचारिक मतभेद के चलते जुबानी जंग शुरू होती दिख रही है. दरअसल राज्य सरकार में मंत्री और एनसीपी (Nationalist Congress Party) नेता जितेंद्र आव्हाड (Jitendra Awhad) ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) पर लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाया.

महा विकास अघाड़ी (Photo Credits: Twitter)

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) की महा विकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) में एक बार फिर वैचारिक मतभेद के चलते जुबानी जंग शुरू होती दिख रही है. दरअसल राज्य सरकार में मंत्री और एनसीपी (Nationalist Congress Party) नेता जितेंद्र आव्हाड (Jitendra Awhad) ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) पर लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाया. उनके इस बयान से महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल सा आ गया.

महाराष्ट्र की शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार में जितेंद्र आव्हाड गृहनिर्माण मंत्री है. बुधवार को बीड में नागरिकता कानून के विरोध में आयोजित एक रैली में एनसीपी एमएलए आव्हाड ने कहा की इंदिरा गांधी ने भी लोकतंत्र का गला घोंट दिया था, कोई भी उनके खिलाफ बोलने के लिए तैयार नहीं था. तब अहमदाबाद और पटना के छात्रों ने विरोध किया था और जेपी आंदोलन ने उनकी हार का नेतृत्व करना शुरू कर दिया. यह इतिहास महाराष्ट्र और देश में दोहराया जाएगा.

कांग्रेस नेता और प्रदेश के पीडब्लूडी मंत्री अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) ने एनसीपी नेता पर पलटवार करते हुए कहा “इंदिरा गांधी जी, जिन्होंने देश की एकता और अखंडता के लिए अपना जीवन लगा दिया, आज भी अपने समर्पण और कर्तव्य के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती हैं. जितेंद्र आव्हाड ने समय रहते ही खुलासा कर अच्छा किया. फिर भी, मैं निश्चित रूप से कहूंगा कि यदि कोई हमारे नेताओं का अपमान करता है, तो उसे सही जवाब दिया जाएगा.”

उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्टूबर महीने में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से शिवसेना और बीजेपी के बीच दूरियां बढती गई. दरअसल ‘महायुति’ (गठबंधन) के तहत बीजेपी के साथ मिलकर शिवसेना ने चुनाव लड़ा था. 288 सदस्यीय विधानसभा में दोनों दलों को 161 सीटें मिलीं थी. दोनों दल मिलकर सरकार बना सकते थे, लेकिन उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना द्वारा ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद के समझौते को लेकर चली रस्साकशी में गठबंधन टूट गया. जिस वजह से राज्य में फिर से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार नहीं बन सकी. इसके बाद लंबे नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम के बाद महाराष्ट्र विकास आघाडी बनी. जिसमें शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस और अन्य छोटे सहयोगी शामिल हैं.

Share Now

\