महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष: देवेंद्र फडणवीस सरकार को थोड़ी राहत, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट सुनाएगी फ्लोर टेस्ट पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI)

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में रातों रात हुए सियासी उलटफेर पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) मंगलवार को फैसला सुनाएगा. कोर्ट ने आज कहा कि राज्यपाल ने समर्थन पत्र के आधार पर सरकार बनाने के लिए न्योता दिया. सुनवाई के दौरान राज्यपाल की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह पत्र मिलने के बाद ही राज्यपाल ने राष्ट्रपति को सूचना भेजी थी और इस जानकारी का हवाला देते हुए ही उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने का अनुरोध किया था. अजित पवार ने एनसीपी के 54 विधायकों के समर्थन वाला पत्र हस्ताक्षर के साथ राज्यपाल को सौंपा था. उनके पत्र में 11 स्वतंत्र और अन्य विधायकों का समर्थन पत्र भी संलग्न था.

एनसीपी के दिग्गज नेता अजित पवार (Ajit Pawar) के पालाबदल से देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली. जबकि उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाया गया. इस संबंध में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने जल्द शक्ति परीक्षण की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. जिस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने रविवार को महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन समाप्त कर फडणवीस की सरकार बनाने की सिफारिश करने वाले राज्यपाल के पत्र को आज पेश करने का आदेश दिया है. जबकि देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को भी नोटिस जारी किया गया था.

उधर, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के महाविकास अघाड़ी ने आज महाराष्ट्र में सरकार गठन का दावा पेश कर दिया है. देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने से खफा शिवसेना कार्यकर्ता ने काटी हाथ की नस, हॉस्पिटल में भर्ती

शनिवार को नाटकीय घटनाक्रम के तहत महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी. वहीं एक साथ मिलकर सरकार बनाने की योजना पर काम कर रही शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने सरकार गठन को चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

बता दें की 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में से बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती. सूबे में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को बहुमत के लिए कम से कम 145 विधायक चाहिए.