महाराष्ट्र (Maharashtra) के राजनीतिक संकट पर गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत की. शिवसेना (Shiv Sena) के साथ गठबंधन टूटने पर अमित शाह ने कहा कि चुनाव के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और मैंने सार्वजनिक तौर पर कहा कि अगर हमारा गठबंधन जीतता है तो देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) मुख्यमंत्री बनेंगे, तब किसी को आपत्ति नहीं हुई. अब वह एक नई मांग को लेकर आ गए हैं, जो हमें स्वीकार नहीं है. महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन (President's Rule) लगाए जाने का विरोध कर रही पार्टियों पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि इस पर जो हाय-तौबा मची है, ये जनता की सहानुभूति पाने की एक निर्रथक कोशिश है.
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन पर अमित शाह ने कहा कि इस मुद्दे पर विपक्ष राजनीति कर रहा है और एक संवैधानिक पद को इस तरह से राजनीति में घसीटना मैं नहीं मानता लोकतंत्र के लिए स्वस्थ परंपरा है. यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र: उद्धव ठाकरे ने कहा- गठबंधन BJP ने तोड़ा, हमने नहीं, कांग्रेस-NCP से आगे की बातचीत करेंगे.
BJP President Amit Shah to ANI on collapse of alliance with Shiv Sena: Before elections PM&I said many times in public that if our alliance wins then Devendra Fadnavis will be the CM, no one objected back then. Now they have come up with new demands which are not acceptable to us pic.twitter.com/4toj07oHVo
— ANI (@ANI) November 13, 2019
अमित शाह ने कहा कि इससे पहले किसी भी राज्य में सरकार गठन के लिए इतना वक्त नहीं दिया गया था. 18 दिन का समय दिया गया. राज्यपाल में सभी पार्टियों को तभी बुलाया जब विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया. शिवेसना, कांग्रेस, एनसीपी और न हमने सरकार बनाने का दावा किया. अगर आज भी किसी दल के पास नंबर है तो वो राज्यपाल के पास जा सकता है.
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#WATCH BJP President Amit Shah to ANI:The Governor has not denied chance to anyone(to form Govt). A learned lawyer like Kapil Sibal is putting forth childish arguments like ‘we were denied a chance to form Govt’. #Maharashtra pic.twitter.com/Aac2hpVIHD
— ANI (@ANI) November 13, 2019
अमित शाह ने कहा कि सबके पास समय है कोई भी जा सकता है. किसका मौका चाहिए, कैसे मौका चाहिए. मेरी तो समझ में नहीं आता. कपिल सिब्बल जैसे विद्वान वकील इस प्रकार की बचकानी दलीलें देश के सामने रखते हैं कि हमारा मौका छिन गया.