Madhya Pradesh Crisis: सियासी संकट के बीच फ्लोर टेस्ट से पहले सीएम कमलनाथ कर सकते हैं इस्तीफे का ऐलान
सीएम कमलनाथ (Photo Credit-ANI)

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कमलनाथ (Kamal Nath) सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं. मध्य प्रदेश में जारी राजनीतिक संकट के स्पीकर ने कांग्रेस के 16 बागी विधायकों का इस्तीफ मंजूर कर लिया है. विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद अब कमलनाथ सरकार पर खतरा बढ़ गया है. इससे पहले सीएम कमलनाथ ने शुक्रवार को अपने प्रेस आवास पर प्रेस कांफ्रेंस बुलाई है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विशेष सत्र बुलाया है. 2 दिन तक चली सुनवाई के बाद आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विधानसभा के सत्र को 26 मार्च तक के लिए स्थगित करना सही नहीं था. विधानसभा में कमलनाथ सरकार का आज बहुमत परीक्षण होगा. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आदेश दिया कि पूरी प्रक्रिया को शुक्रवार शाम 5 बजे तक निपटा लिया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एमपी विधानसभा के स्पीकर एनपी प्रजापित को आदेश दिया कि वे विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएं और इस सत्र में फ्लोर टेस्ट करावाया जाए. अदालत ने 20 मार्च को शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है.  इस बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ शुक्रवार को दोपहर 12 बजे प्रेस कांफ्रेंस करने वाले हैं. माना जा रहा है कि सीएम कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जिन 16 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है, उन पर विधानसभा में आने का कोई दबाव नहीं है. लेकिन अगर वे विधायक सदन में आना चाहते हैं तो कर्नाटक और मध्य प्रदेश की पुलिस उन्हें सुरक्षा देगी. फैसले में लिखा गया है, "अगर विधायक बेंगलुरु में रहना चाहते हैं, तो कर्नाटक के डीजीपी उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें. अगर विधायक भोपाल आना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश के डीजीपी उन्हें सुरक्षित विधानसभा तक पहुंचाएं. कर्नाटक के बीजेपी उनकी सुरक्षित रवानगी तय करें."

16 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के पास अब मात्र 92 विधायक रह गए हैं. विधायकों के इस्तीफे के बाद सदन का संख्याबल  206 हो गया है. ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 104 हो गया है. बीजेपी के पास इस समय 107 विधायक हैं ऐसे में बीजेपी के लिए राह आसान हो गई है. एसपी, बीएसपी और निर्दलीय उम्मीदवारों का साथ मिलने के बावजूद भी कांग्रेस सरकार से हाथ धो सकती है.