BREAKING: राज ठाकरे-उद्धव ठाकरे के साथ आने की चर्चा पर बोले सीएम फडणवीस, 'बिछड़े हुए एक साथ आते हैं तो हमें खुशी है'; VIDEO
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Devendra Fadnavis On Raj Thackeray and Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के एक साथ आने की अटकलें तेज़ हैं. इस बीच, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. मीडिया से बातचीत में फडणवीस ने कहा, "अगर वे दोनों साथ आते हैं तो हमें खुशी है. अगर बिछड़े हुए लोग फिर से साथ आते हैं और उनका आपसी विवाद खत्म होता है, तो यह अच्छी बात है. इसमें बुरा मानने जैसी कोई बात नहीं है.

वहीं फडणवीस ने आगे कहा, "लेकिन इस पर हम क्या कह सकते हैं? उन्होंने (राज ने) ऑफर दिया और उन्होंने (उद्धव ने) जवाब दिया. इस वे दोनों बोल सकते हैं. यह भी पढ़े: महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद के बीच उद्धव और राज ठाकरे आएंगे साथ? राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत

राज ठाकरे-उद्धव ठाकरे एक साथ आने पर सीएम की प्रतिक्रिया

राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को लेकर क्या कहा था?

दरअसल, एक पॉडकास्ट में राज ठाकरे से सीधा सवाल किया गया कि क्या वे और उद्धव ठाकरे फिर से साथ आ सकते हैं? क्या यह महाराष्ट्र की जनता की इच्छा है? इस पर राज ठाकरे ने कहा, "किसी भी बड़े उद्देश्य के लिए हमारे आपसी मतभेद, झगड़े बहुत छोटे हैं. महाराष्ट्र बहुत बड़ा है. इस महाराष्ट्र के अस्तित्व और मराठी व्यक्ति की पहचान के लिए हमारे बीच के झगड़े और विवाद का कोई महत्व नहीं है. इसलिए एक साथ आना ज़रूरी है. लेकिन यही इच्छा उनकी भी होनी चाहिए.

राज ठाकरे के बाद उद्धव की प्रतिक्रिया

राज ठाकरे के बयान के बाद अब उद्धव ठाकरे की तरफ से भी प्रतिक्रिया सामने आई है. उद्धव ठाकरे ने कहा,"हम दोनों भाई हैं और हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है. और अगर कहीं कोई मनमुटाव है भी, तो मैं उसे दूर कर दूंगा। लेकिन तुम अपने घर में महाराष्ट्र और शिवसेना (उद्धव गुट) के दुश्मनों को जगह मत दो... अगर तुम इस बात से सहमत हो, तो हम जरूर बात करेंगे.

MNS प्रवक्ता संदीप देशपांडे की प्रतिक्रिया

हालांकि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ गठबंधन की चर्चाओं के बीच उन पर भरोसा न करने की बात कही और पिछले अनुभवों का हवाला देते हुए उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए।

संदीप देशपांडे ने कहा, "2012 और 2014 में हमने उद्धव ठाकरे का समर्थन किया. हम अपना ए-बी फॉर्म रोककर उनके साथ खड़े हुए, लेकिन उद्धव जी ने हमारा फोन तक नहीं उठाया. साल 2017 में भी गठबंधन की चर्चा हुई, तब भी उन्होंने यही रवैया अपनाया, मनसे ने पहले भी उद्धव ठाकरे का समर्थन किया, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। वह पहले भाजपा की आलोचना करते थे, फिर उनके साथ चुनाव लड़े और बाद में शरद पवार और कांग्रेस के साथ चले गए.

(इनपुट एजेंसी)