साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मालेगांव धमाके में मिल गई क्लीन चिट ?

मालेगांव विस्फोट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर कांग्रेस लगातार बीजेपी पर कटाक्ष कर रही है. साथ ही विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से इस मामले पर कार्यवाई करने की मांग की है.

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Photo Credits: IANS)

मुंबई: मालेगांव विस्फोट (Malegaon Blast) की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya singh Thakur) को लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) में उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर कांग्रेस लगातार बीजेपी पर कटाक्ष कर रही है. साथ ही विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से इस मामले पर कार्यवाई करने की मांग की है. बीजेपी ने प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस के कद्दावर नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ है.

विस्फोट मामले में आठ साल से अधिक समय जेल में गुजारने के बाद बम्बई उच्च न्यायालय ने साल 2107 में उन्हें स्वास्थ्य कारणों से जमानत दे दी थी.ठाकुर की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान उनके वकील ने अदालत को बताया था कि वह कैंसर से जूझ रही हैं. उन पर गैर कानूनी गतिविधिया (निरोधक) कानून के तहत आरोप लगाये गये हैं.

48 वर्षीय प्रज्ञा को 29 सितम्बर, 2008 को मालेगांव में हुये धमाकों के बाद महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. ऐसा आरोप है कि इस दौरान प्रज्ञा को जेल में रखकर प्रताड़ित किया गया था.

मालेगांव बम विस्फोट में आरोपी बनाये जाने पर हाल ही में साध्वी ने कहा था कि कांग्रेस और दिग्विजय सिंह ने कानून का दुरुपयोग किया है और संवैधानिक नियम तोड़े हैं. साथ ही स्त्री को अपमानित भी किया है. मुझे गैर कानूनी तरीके से प्रताड़ित भी किया है. साल 2008 में नासिक जिले के मुस्लिम बहुल मालेगांव में एक मस्जिद के बाहर मोटरसाइकिल में रखे गए बम विस्फोट में कम से कम छह लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर आरोप है कि वे एक हिंदू चरमपंथी संगठन का हिस्सा थे, जिसने इस विस्फोट को अंजाम दिया था. मामले में महाराष्ट्र आतंकवाद-रोधी दस्ते(एटीएस) ने लगभग 12 लोगों को गिरफ्तार किया था और 2011 की शुरुआत में मामले को एनआईए को सुपूर्द कर दिया गया था. हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक (एनआईए) ने बाद में प्रज्ञा को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन अदालत ने उन्हें अब तक आरोप मुक्त नहीं किया है.

गौरतलब हो कि कानून के अनुसार, 25 साल की आयु से अधिक का कोई व्यक्ति चुनाव लड़ने का अधिकार रखता है बशर्ते उसे किसी ऐसे अपराध में दोषी न ठहराया गया हो जिसमें सजा की अवधि दो साल से अधिक की हो.

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