कभी एक दूसरे पर तीखे हमले करने वाले मुलायम सिंह और मायावती आज साझा करेंगे मंच, मैनपुरी में मांगेंगे वोट

लोकसभा चुनाव के दो चरण खत्म हो चुके है. तीसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार जोरो पर है. इस बीच उत्तर प्रदेश में आज एक नया इतिहास बनने जा रहा है. दरअसल एक दूसरे के धुर-विरोधी मुलायम सिंह यादव और मायावती दशकों बाद एक मंच पर आने वाले है.

मायावती और मुलायम सिंह (Photo Credit-PTI)

लखनऊ: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) के दो चरण खत्म हो चुके है. तीसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार जोरो पर है. इस बीच उत्तर प्रदेश में आज एक नया इतिहास बनने जा रहा है. दरअसल एक दूसरे के धुर-विरोधी मुलायम सिंह यादव (Mulayam singh Yadav) और मायावती (Mayawati) दशकों बाद एक मंच पर आने वाले है.

जानकारी के मुताबिक एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन की चौथी रैली शुक्रवार को मैनपुरी में होने वाली है. इस दौरान दशकों पुराने प्रतिद्वंद्वी रहे बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमों मायावती और समाजवादी पार्टी (एसपी) संस्थापक मुलायम सिंह यादव एक साथ मच पर नजर आ सकते है. के लिये वोट मांगेंगी.

आपको बता दें कि राजनीतिक लिहाज से मैनपुरी सीट बेहद खास है. यह मुलायम सिंह यादव का गढ़ माना जाता है. 2014 में मुलायम सिंह यादव खुद इस सीट से मैदान में उतरे थे और भारी अंतर से जिते थे. हालांकि, वे साथ ही आजमगढ़ से भी जीते थे जिसकी वजह से उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी और पोते तेज प्रताप सिंह यादव को मैदान में उतारा था. तेज प्रताप सिंह यादव भी आसानी से जीत गए थे.

मुलायम सिंह ने मैनपुरी सीट से साल 1996, 2004, 2009 और 2014  में जीत दर्ज कर अपने विरोधियों को पछाड़ चुके हैं. समाजवादी पार्टी ने 1996 से लेकर अब तक उप-चुनाव समेत इस सीट से आठ बार चुनाव जीती है. आपको जानकारी हैरानी होगी कि मैनपुरी सीट पर आज तक बीजेपी अपनी जीत दर्ज नहीं कर पाई है. वहीं इस बार मुलायम को टक्कर देने के लिए मैनपुरी लोकसभा सीट से बीजेपी ने प्रेम सिंह शाक्य को प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं कांग्रेस ने किसी को नहीं उतारा है.

बीएसपी के जिलाध्यक्ष खुमान सिंह वर्मा ने बताया कि  प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा मुखिया मायावती और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह रैली को सम्बोधित करेंगे. इस मौके पर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव भी मौजूद रहेंगे. शुरू में ऐसी खबरें थीं कि मुलायम रैली में शामिल नहीं होंगे.

पार्टी का दावा है कि रैली में 40 लाख से ज्यादा लोगों की जुटने की संभावना है. मालूम हो कि वर्ष 1993 में गठबंधन कर सरकार बनाने वाली एसपी और बीएसपी के बीच पांच जून 1995 को लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस काण्ड के बाद जबर्दस्त खाई पैदा हो गई थी.

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