BJP Bad Performance Reasons: बीजेपी का '400 पार' का सपना टूटा, भाजपा के वोटबैंक खिसकने के ये हैं 10 कारण

सबके मन में यही सवाल है कि भाजपा के वोट बैंक घटने का क्या कारण रहा? क्या BJP की अति आत्मविश्वास ही उसके पतन का कारण बना? आइए गौर करें.

Lok Sabha Election Results 2024: लोकसभा चुनावों के शुरुआती रुझानों ने एक बड़ा सियासी उलटफेर दिखाया है! INDIA गठबंधन BJP के नेतृत्व वाले NDA को कड़ी टक्कर दे रहा है. शुरुआती रुझानों में, NDA बहुमत का आंकड़ा पार कर गया है, लेकिन BJP को उत्तर प्रदेश में बड़ा झटका लगा है, वहीं कांग्रेस ने अपना प्रदर्शन काफी बेहतर किया है. BJP का नारा "अबकी बार 400 पार" बेअसर साबित होता दिख रहा है. सबके मन में यही सवाल है कि वोट बैंक घटने का क्या कारण रहा? सवाल उठ रहा है कि क्या BJP की अति आत्मविश्वास ही उसके पतन का कारण बना? आइए गौर करें.

1. यूपी ने दिया झटका

नरेंद्र मोदी, जो लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद पर बैठने का सपना देख रहे थे, को उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा झटका लगा है. 4 जून को मतगणना के दौरान BJP को रुझानों में भारी नुकसान हुआ है. UP की 80 लोकसभा सीटों पर बड़ा उलटफेर दिख रहा है. एनडीए 37 सीटों पर आगे है, जबकि विपक्ष इंडिया गठबंधन 42 सीटों पर लीड कर रहा है. पार्टियों की बात करें तो बीजेपी 36, समाजवादी पार्टी 33 और कांग्रेस 8 सीटों पर आगे चल रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने अकेले 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिसमें से 62 सीटें बीजेपी को मिली थीं. कांग्रेस को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा था. हालांकि, कई सीटों पर मुकाबला काफी कांटेदार है. यूपी में 80 में 80 सीटें जीतने का दावा करने वाली BJP के लिए सीटों में गिरावट अप्रत्याशित रही.

2. विकास का मुद्दा छोड़, मुस्लिम आरक्षण के विरोध में उतरी भाजपा 

देश में विकास के मुद्दे को दरकिनार करते हुए, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर विरोध करने लगी. पीएम मोदी खुद रैली के मंच से इसके खिलाफ भाषण देते नजर आए. इन सब के बीच बुनियादी मुद्दे पीछे छुटने लगे.

3. उम्मीदवारों के खिलाफ जनता का गुस्सा

BJP से निराशा का सबसे बड़ा कारण उम्मीदवारों से असंतोष है. कई सीटों पर यही स्थिति देखने को मिली कि पार्टी के उम्मीदवारों का विरोध था. लोग कहते सुने जा रहे थे कि अब तक मोदी जी के नाम पर उम्मीदवारों को जिताते रहेंगे, कब तक? BJP के अधिकांश सांसदों और स्थानीय नेताओं के खिलाफ काफी गुस्सा है.

4. मतदाताओं को पसंद आई सपा-कांग्रेस की जोड़ी

BSP के वोट बैंक में हल्की गिरावट आई है लेकिन यह वोट BJP के पास नहीं जा रहा है. दलित मतदाता पूरी तरह से समाजवादी पार्टी के गठबंधन के पक्ष में खड़े हो गए हैं. BJP का अच्छा-ख़ासा वोट बैंक SP कांग्रेस को गया है. साथ ही, यादव और मुस्लिम मतदाता भी गठबंधन के पक्ष में ही रहे. ऐसे में उसे 30 सीटों का नुकसान हुआ है.

5. महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे से दूर भागती रही भाजपा

मतदाताओं के मन में महंगाई और बेरोजगारी को लेकर निराशा है. चुनाव की तैयारी कर रहे युवाओं में भी बेचैनी है. गांवों में आवारा पशु भी एक बड़ा मुद्दा हैं. BJP के एक चौथाई मतदाता कहते हैं कि वे इस बार इसे वोट नहीं देंगे. SP और कांग्रेस का वोट बरक़रार है.

6. BJP को ओवरकॉन्फिडेंस ले डूबा?

एक कारण यह भी है कि कई मतदाता बदलाव चाहते हैं. कई लोगों का मानना है कि अगर वे तीसरे पांच साल के कार्यकाल में आए तो, तानाशाही शुरू हो जाएगी. BJP नेतृत्व ने 2024 की लड़ाई को थोड़ा हल्के में लिया था. खबर लिखे जाने तक सभी 543 सीटों के रुझानों में NDA बहुमत के आंकड़े को पार कर चुकी है. हालांकि इंडिया गठबंधन भी 231 सीटों पर आगे चल रही है. अब यह देखना होगा कि आखिरकार अंतिम परिणाम क्या होता है और क्या INDIA गठबंधन BJP को और ज़्यादा नुकसान पहुंचा पाता है.

7. संविधान बदलने की चर्चा

पीएम मोदी ने 400 पार का नारा दिया, जिसके बाद कुछ भाजपाई नेता दावा करने लगे क‍ि 400 पार इसल‍िए चाह‍िए क्‍योंक‍ि संविधान बदलना है. फिर कांग्रेस-सपा ने इसे आरक्षण से जोड़ दिया. इंडिया गठबंधन ने दावा किया क‍ि BJP अगर 400 पार कर लेती है तो वे संविधान बदलकर आरक्षण खत्‍म कर देंगे. दल‍ितों और ओबीसी के बीच यह बातें तेजी से फैली और नतीजा वोटों के रूप में सामने आया.

8. पेपर लीक और अग्नीवीर योजना से परेशान युवा  

युवा अग्नीवीर योजना से नाराज हैं. इसी बीचे राहुल गांधी ने कहा कि सत्ता में आते ही वह अग्नीवीर योजना को रद्द कर देंगे. कई राज्यों में बीजेपी सरकार पर लगातार ये आरोप लग रहे हैं क‍ि वे नौकरी नहीं दे पा रहे हैं और पेपर लगातार लीक होते ही रहते हैं. इसके ल‍िए कोई पुख्‍ता इंतजाम नहीं किए जाते. बहुत सारे युवा वर्षों से प्रत‍ियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अब उनकी उम्र निकल रही है. वे परीक्षा नहीं दे पा रहे हैं. युवाओं में यह एक बड़ा मुद्दा था.

9. रंग लाई राहुल गांधी की मेहनत 

राहुल गांधी ने जिस तरह से अपने को आम आदमी की तरह कनेक्‍ट किया. वह पूरे देश में घूमे. उन्‍होंने दक्षिण से उत्‍तर, पूरब से पश्चिम तक यात्राएं कीं. उन्होंने कभी कभी बढ़ई से मुलाकात की तो कभी ट्रक पर यात्रा की. ये चीजें धीरे-धीरे असर कर रही थीं. सोशल मीडिया के जरिए ये ग्राउंड तक पहुंच रहा था. महीने के पैसे देना, आरक्षण, राशन कांग्रेस के इन वादों ने लोगों पर सीधा असर डाला.

10. क्षत्रियों की नाराजगी

उत्तर प्रदेश में राजपूतों की नाराजगी की भी बीजेपी को कीमत चुकानी पड़ी है. पहले गुजरात में परषोत्तम रुपाला का क्षत्रियों पर कमेंट मुद्दा बना, जिसकी आंच यूपी तक महसूस की गई.

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