लोकसभा चुनाव 2019: आखिरी चरण में इन धुरंधर नेताओं के बीच होगी अंतिम लड़ाई, एक क्लिक में जानें पूरी डिटेल्स
सातवें और अंतिम चरण के लोकसभा चुनाव की 59 संसदीय सीटों पर चुनाव प्रचार शुक्रवार शाम को समाप्त हो गया, जिसके बाद विभिन्न राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश के करीब 10.17 करोड़ मतदाता रविवार को 918 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे.
नई दिल्ली: सातवें और अंतिम चरण के लोकसभा चुनाव की 59 संसदीय सीटों पर चुनाव प्रचार शुक्रवार शाम को समाप्त हो गया, जिसके बाद विभिन्न राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश के करीब 10.17 करोड़ मतदाता रविवार को 918 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे.
रविवार को जिन राज्यों में मतदाना होगा, उसमें पंजाब(13), उत्तरप्रदेश (13), पश्चिम बंगाल(9), बिहार (8), मध्यप्रदेश (8), हिमाचल प्रदेश (4), झारखंड (4), चंडीगढ़ (1)शामिल हैं. बीजेपी ने 2014 में इस अंतिम चरण की 59 सीटों में से 30 पर विजय हासिल की थी.
लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण की महत्वपूर्ण सीटों का ब्योरा इस प्रकार है-
वाराणसी (उत्तरप्रदेश)
महत्वपूर्ण उम्मीदवार: नरेंद्र मोदी (बीजेपी), अजय राय (कांग्रेस), शालिनी यादव (सपा)
मुख्य फैक्टर और मुद्दे : मोदी न सिर्फ वाराणसी में बल्कि पूरे देश में अपने विकास के एंजेडे पर निर्भर हैं. बीजेपी यहां से उनके लिए बड़े अंतर से जीत सुनिश्चित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है.
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि लोग कुछ सवाल उठा सकते हैं, लेकिन वास्तव में वाराणसी में कोई मुकाबला नहीं है. मोदी ने अपने नामांकन के दिन यहां एक रोडशो किया था.
वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी अपने प्रत्याशी अजय राय के समर्थन में रोडशो किया था और बहुज समाज पार्टी प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने शालिनी यादव के समर्थन में एक संयुक्त रैली आयोजित की थी.
गोरखपुर (उत्तरप्रदेश)
महत्वपूर्ण उम्मीदवार: रवि किशन (बीजेपी), रामभुआल निषाद (सपा), मधुसूदन त्रिपाठी (कांग्रेस)
मुख्य फैक्टर और मुद्दे : उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मजबूत गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र से बीजेपी की तरफ से भोजपुरी अभिनेता रविकिशन चुनाव लड़ रहे हैं. यहां मुख्य मुकाबला किशन और गठबंधन के प्रत्याशी निषाद के बीच माना जा रहा है.
यह ऐसी सीट है जिसे बीजेपी समाजवादी पार्टी से छीनना चाहेगी. यहां पार्टी को 2018 उपचुनाव में महागठबंधन के हाथों हार का सामना करना पड़ा था, जिसे प्रदेश में बीजेपी विरोधी मोर्चे का प्रयोगात्मक शुरुआत माना गया था.
बीजेपी को झटका देने वाले मौजूदा सांसद प्रवीण निषाद ने अब बीजेपी का ही दामन थाम लिया है.
गाजीपुर (उत्तरप्रदेश)
मुख्य उम्मीदवार: मनोज सिन्हा (बीजेपी), अफजाल अंसारी (बसपा)
मुख्य फैक्टर और मुद्दे : सिन्हा अपने विकास कार्यो और प्रधानमंत्री मोदी की छवि पर निर्भर हैं तो अंसारी सपा-बसपा के सामाजिक संयोजन की वजह से मजबूत दिख रहे हैं. अंसारी जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई हैं, जिन्हें अभी भी अच्छा स्थानीय समर्थन प्राप्त है.
मिर्जापुर (उत्तरप्रदेश)
मुख्य उम्मीदवार: अनुप्रिया पटेल (अपना दल), ललितेश त्रिपाठी (कांग्रेस), राजेंद्र बिंद (सपा)
मुख्य फैक्टर और मुद्दे: यहां के 1,405,539 मतदाताओं में से कुर्मी समुदाय की अच्छी खासी संख्या है, जिससे अनुप्रिया पटेल आती हैं. हालांकि अपना दल के एक अलग गुट ने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है, इस गुट की अगुवाई पटेल की मां करती हैं. कांग्रेस को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) का भी समर्थन हासिल है, जिसकी अगुवाई पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर करते हैं.
पटना साहिब (बिहार)
मुख्य उम्मीदवार: रविशंकर प्रसाद (बीजेपी), शत्रुघ्न सिन्हा (कांग्रेस)
मुख्य फैक्टर और मुद्दे : सिन्हा ने बीजेपी के टिकट पर इस सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन इसबार वह कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर लड़ रहे हैं. यहां पर कायस्थ समुदाय का वोट निर्णायक होगा. सिन्हा जहां खुद की लोकप्रियता और राजद के समर्थन पर निर्भर हैं, वहीं प्रसाद पुरी तरह से शहर के साथ अपने लंबे संपर्क और मोदी सरकार की उपलब्धियों पर निर्भर हैं.
आरा (बिहार)
मुख्य उम्मीदवार : राजकुमार सिंह (बीजेपी), राजू यादव (भाकपा-माले)
मुख्य फैक्टर और मुद्दे : आरा एकमात्र सीट है जिसके लिए लालू प्रसाद की अगुवाई वाली राजद ने भाकपा-माले के लिए सीट छोड़ा था. राजू यादव का यहां सीधा सामना बीजेपी के उम्मीदवार और मौजूदा सांसद राजकुमार सिंह से है. पूर्व केंद्रीय गृह सचिव ऊर्जा क्षेत्र में अपने विकास कार्य और मोदी की छवि पर निर्भर हैं.
बक्सर (बिहार)
मुख्य उम्मीदवार: अश्विनी कुमार चौबे (बीजेपी), जगदानंद सिंह (राजद)
मुख्य फैक्टर और मुद्दे : मोदी सरकार में राज्य मंत्री होने के बावजूद चौबे पूरी तरह से मोदी की छवि पर निर्भर हैं. स्थानीय लोग उनके प्रदर्शन से नाखुश हैं, लेकिन बालाकोट हवाई हमले के बाद वह अपनी नैया पार लगने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
ब्राह्मण बहुल सीट पर राजपूत वोट एक महत्वपूर्ण कारक है. अगर जगदानंद सिंह को राजपूत वोटों का 30 प्रतिशत वोट भी मिल जाता है तो चौबे मुश्किल में पर जाएंगे. यादव और मुस्लिम सिंह के पीछे खड़े हैं.
पाटलीपुत्र (बिहार)
मुख्य उम्मीदवार: रामकृपाल यादव (बीजेपी), मीसा भारती (राजद)
मुख्य फैक्टर और मुद्दे: राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के पूर्व सहयोगी राम कृपाल यादव मोदी की अपील और विकास कार्यो पर निर्भर हैं. लालू प्रसाद की बेटी अपने पिता के लिए लोगों की सहानुभूति पाने की उम्मीद कर रही है.
गुरदासपुर (पंजाब)
मुख्य उम्मीदवार: सनी देओल (बीजेपी), सुनील जाखड़ (कांग्रेस)
मुख्य फैक्टर और मुद्दे: बीजेपी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को अपना चुनावी मुद्दा बनाया है और सनी देओल भी देशभक्ति फिल्मों के लिए मशहूर हैं. वह अपने फिल्मों के दृश्यों को रिक्रिएट कर और अपने मशहूर संवाद 'ढाइ किलो का हाथ' और 'हिंदुस्तान जिंदाबाद है, जिंदाबाद रहेगा' से लोगों को लुभा रहे हैं.
मौजूदा सांसद जाखड़ कांग्रेस के दिग्गज बलराम जाखड़ के बेटे हैं और वह विकास कार्यो के सहारे उन्हें अपनी नैया पार लगने की उम्मीद है.
अमृतसर (पंजाब)
मुख्य उम्मीदवार: हरदीप सिंह पुरी (बीजेपी), गुरजीत सिंह औजला (कांग्रेस)
मुख्य फैक्टर और मुद्दे: कैप्टन अमरिंदर सिंह जिन्होंने 2014 में बीजेपी के अरुण जेटली को हराया था, वह इस बार पुरी को हराने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. वहीं पुरी 1984 सिख-विरोधी दंगे के संबंध में सैम पित्रोदा के 'हुआ तो हुआ' बयान पर कांग्रेस पर जमकर निशाना साध रहे हैं.