Year-Ender 2020: कोविड 19 के एक साल, आइये जानें दुनिया के इन पांच राष्ट्राध्यक्षों ने अपने देश को इस संकट से कैसे उभारा?

यकीनन मानव जाति के इतिहास में साल 2020 सबसे मुश्किल वर्षों में माना जायेगा. त्रासदी यह कि चीन के वुहान से अस्तित्व में आई कोविड-19 महामारी का कोई इलाज नहीं था, कोई औषधि नहीं थी, कोई पुख्ता लक्षण नहीं थे. इलाज के नाम पर लॉक डाउन, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क इत्यादि ही थे. आइये जानें दुनिया के पांच बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष कोरोना पर नियंत्रण पाने में कितने सफल रहे.

व्लादिमीर पुतिन, जेसिंडा आर्डरर्न, शी जिनपिंग, नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प (Photo Credits: Twitter)

Year Ender 2020: यकीनन मानव जाति के इतिहास में साल 2020 सबसे मुश्किल वर्षों में माना जायेगा. त्रासदी यह कि चीन के वुहान से अस्तित्व में आई कोविड-19 (COVID-19) महामारी का कोई इलाज नहीं था, कोई औषधि नहीं थी, कोई पुख्ता लक्षण नहीं थे. इलाज के नाम पर लॉक डाउन, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क इत्यादि ही थे. प्रतिदिन हजारों मानव कीट-पतंगों की तरह मर रहे थे. हैरान करनेवाली बात यह थी कि इस महामारी के शिकार छोटे देश नहीं बड़े देश ज्यादा हो रहे थे. जैसे-तैसे रिकवरी रेट में थोड़ा सुधार आया तो एक नये कोरोनावायरस (Coronavirus) के आगमन की खबर ने फिर से दहशत कायम कर दिया. इसके अलावा कोविड-19 के वैक्सीन और लॉक डाउन की असमंजसता ने भी लोगों को दुविधा में रखा.

सबसे ज्यादा अग्नि-परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ा भिन्न-भिन्न देशों के प्रशासन एवं राष्ट्राध्यक्षों को.आलोचकों का यह तर्क-कुतर्क यह था कि कोविड 19 की महामारी से निपटना मुश्किल था, लेकिन नेताओं ने हालात को बद से बदतर बना दिया, वहीं कुछ का मानना था कि राजनेताओं की कर्मठता, नेतृत्व क्षमता एवं नियमों का कड़ाई से पालन करवाने के कारण महामारी पर कुछ हद तक अंकुश लग सका. आइये जानें दुनिया के पांच बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष कोरोना पर नियंत्रण पाने में कितने सफल रहे.

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1. नरेंद्र मोदी (भारतीय प्रधानमंत्री)

इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) उन सफल नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने कोविड-19 की महामारी का समय एवं योजनाबद्ध तरीके से प्रबंधन किया. मार्च में उन्होंने 'जनता कर्फ्यू' की घोषणा की. इसके पश्चात पूरे देश में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन शुरु करने की राष्ट्रव्यापी अपील की. लॉकडाउन के विस्तार और बाद में उसे पुनः खोलने की प्रक्रिया के दरम्यान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोविड-19 के संदर्भ में श्रृंखलाबद्ध तरीके से राष्ट्र को संबोधन जारी था. समय-समय पर सोशल डिस्टेंसिंग के दायरे में राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात करने एवं महामारी पर इनके द्वारा किये अन्य प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर खूब प्रशंसा मिली.यद्यपि उनके आलोचक उनके द्वारा अचानक लॉकडाउन की घोषणा और प्रवासी संकट को लेकर उनकी व्यवस्था और प्रबंधन की खिंचाई भी करते रहे. साथ ही महामारी के दरम्यान अर्थ व्यवस्था पर सरकार की चालों के अनियंत्रित प्रभाव की भी खिंचाई की गयी.

2. डोनाल्ड ट्रम्पः (अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति)

अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) की कोविड 19 पर प्रतिक्रिया अन्य राष्ट्राध्यक्षों की तुलना में काफी विभाजनकारी रही है. ऐसा माना जा रहा है कि उनकी प्रतिक्रिया, उनके आक्रामक आरोप-प्रत्यारोप का असर नवंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में हार की मुख्य वजह बनी, साल 2020 के प्रारंभ जनवरी माह में ट्रंप ने बयान दिया था कि कोविड-19 की महामारी पर अमेरिकी नियंत्रण है, और बहुत जल्दी सब ठीक हो जायेगा, लेकिन बाद में कोविड-19 ने अमेरिका को इस कदर अपने चंगुल में लिया कि शेष दुनिया के मुकाबले अमेरिका सबसे ज्यादा कोविड 19 पॉजिटिव देश बना. ट्रम्प के आलोचक इसका पूरा ठीकरा उन्हीं पर फोड़ी. यद्यपि उनके समर्थन में हुए कहा कि ट्रंप ने वह सब किया जो उनके नियंत्रण में था. कोरोनावायरस के मुद्दे पर ट्रंप और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बीच भी परस्पर आक्रामक बयानबाजी हुआ.

3. शी जिनपिंगः (चीन के राष्ट्रपति)

जैसा कि सारी दुनिया जानती है कि कोरोनावायरस की उत्पत्ति का श्रेय चीन को जाता है. इस संदर्भ में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) पर कोरोनावायरस की महामारी के सवालों के जवाब देने का काफी प्रेशर रहा है. यद्यपि चीन के स्थानीय खबरों के अनुसार कोरोनावायरस को लेकर ऐसा भी कहा गया कि शी जिनिपिंग के सख्त एवं सत्तावादी उपायों का उपयोग कर कोविड 19 की बीमारी पर नियंत्रण पाने में सफल रहे. जबकि उनके आलोचक (देश के भीतर व बाहर) ने प्रकृति विरोधी होने का आरोप लगाया. उधर जापान सेंटर फॉर इकोनॉमिक रिसर्च ने बताया कि चीन की अर्थव्यस्था साल दर साल जीडीपी ग्रोथ रेट को निरंतर सकारात्मक बनाने में सफल रहा.

4. जेसिंडा आर्डरर्नः (न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री)

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न (Jacinda Ardern) ने अपने देश में कोरोनावारस की महामारी से निपटने के लिए प्रशासन की खुलकर प्रशंसा की थी. उन्होंने मार्च में लेबल चार प्रतिबंधों की घोषणा की थी. जब न्यूजीलैंड में कोरोनावायरस के मात्र 102 मामले थे. यह प्रतिबंद देश के इतिहास में अभूतपूर्व थे, जिसमें पुलिस फोर्स एवं सैन्य कर्मियों को कोविड 19 की महामारी पर नियंत्रम के लिए तैनात किया गया था. न्यूजीलैंड दुनिया का पहला बड़ा देश है, जिसे अगस्त 2020 में पूरी तरह से कोरोना मुक्त घोषित किया गया. यहां जेसिंडा आर्डरर्न के सफलतम प्रयासों के लिए उन्हें फोर्ब्स द्वारा साल 2020 में दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं के रूप में नामित किया गया.

5. व्लादिमीर पुतिन : (राष्ट्रपति सोवियत संघ)

कोविड 19 पर नियंत्रण के संदर्भ में रूस के राष्ट्रपति व्लाडिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने दावा था कि इस महामारी पर नियंत्रण रखने के मामले में सोवियत संघ संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की तुलना में बेहतर था. जबकि उनके विरोधी खेमे में कोविड-19 की महामारी के स्केल को लेकर शीर्ष रूसी नेतृत्व की आलोचना करते हुए कहा कि वह महामारी की जमीनी हकीकत से अनभिज्ञ थे. गौरतलब है कि सोवियत संघ ने साल 2020 के मार्च से मई तक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी. जून माह तक वहां लॉकडाउन से लोगों को रिलीफ दिया गया, जबकि अक्टूबर 2020 में पुतिन ने बताया था कि रूस में पुनः लॉकडाउन में नहीं लगेगा. यद्यपि कुछ प्रभावित एरिया में प्रतिबंध लागू रहेंगे.

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