कार्ति चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, 10 करोड़ रुपये वापस लौटाने से किया इनकार
उच्चतम न्यायलाय ने कार्ति चिदंबरम द्वारा विदेश यात्रा के लिये न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा कराये गये दस करोड़ रूपए अभी और तीन महीने तक लौटाने से शुक्रवार को इंकार कर दिया. न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह रकम अभी और तीन महीने तक सावधि खाते में जमा रहेगी. शीर्ष अदालत ने मई के महीने में भी दस करोड़ रूपए की यह राशि लौटाने से इंकार कर दिया था.
नई दिल्ली. उच्चतम न्यायलाय ने कार्ति चिदंबरम द्वारा विदेश यात्रा के लिये न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा कराये गये दस करोड़ रूपए अभी और तीन महीने तक लौटाने से शुक्रवार को इंकार कर दिया.
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह रकम अभी और तीन महीने तक सावधि खाते में जमा रहेगी. कार्ति के खिलाफ एयरसेल-मैक्सिस प्रकरण और धन शोधन के मामले में कार्यवाही चल रही है और उन्होंने शीर्ष अदालत द्वारा उन्हें विदेश यात्रा की अनुमति देते समय लगायी गयी शर्त के तहत यह राशि जमा करायी थी. शीर्ष अदालत ने मई के महीने में भी दस करोड़ रूपए की यह राशि लौटाने से इंकार कर दिया था.
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबमर के पुत्र कार्ति ने इससे पहले न्यायालय में दावा किया था कि उन्होंने यह रकम कर्ज पर ली थी और वह इस पर ब्याज अदा कर रहे हैं. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ ने सात मई को कार्ति को मई और जून महीने में ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन की यात्रा करने की अनुमति दी थी. यह भी पढ़े-राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है जांच एजेंसियों की कार्रवाईः कार्ति चिदंबरम
इससे पहले, न्यायालय ने जनवरी में कार्ति को विदेश यात्रा की अनुमति देते वक्त निर्देश दिया था कि वह शीर्ष अदालत के सेक्रेटरी जनरल के पास 10 करोड़ रूपए जमा करायें. न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय के अनुरोध पर कार्ति को यह लिखित आश्वासन देने का निर्देश दिया था कि विदेश से लौटने के बाद वह जांच में सहयोग करेंगे. साथ ही न्यायालय ने उन्हें चेतावनी दी थी कि यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उनके साथ सख्ती की जायेगी.
जांच एजेन्सी ने न्यायालय से यह भी कहा था कि पिछले छह महीने में कार्ति 51 दिन विदेश में थे. कार्ति के खिलाफ कई आपराधिक मामलों की प्रवर्तन निदेशालय और केन्द्रीय जांच ब्यूरो जांच कर रहा है. इनमें एक मामला आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रूपए के विदेशी निवेश की अनुमति देने से संबंधित है. विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड ने 2007 में यह मंजूरी दी थी और उस समय कार्ति के पिता पी चिदंबरम वित्त मंत्री थी.