कर्नाटक (Karnataka) में जारी सियासी उठापठक के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बागी विधायकों की अर्जी पर सुनवाई हुई. बागी विधायकों ने अपने पक्ष रखते हुए स्पीकर की भूमिका पर सवाल उठाए. बागी विधायकों ने कहा कि वह इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन स्पीकर उसे जानबूझकर स्वीकार नहीं कर रहे हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना है ये सुप्रीम कोर्ट तय नहीं करेगा. सीजेआई रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) ने इस दौरान कहा कि अगर आप इस्तीफे पर फैसला कर सकते हैं, तो करिए.
चीफ जस्टिस ने इस दौरान कहा कि हम ये तय नहीं करेंगे कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना चाहिए, क्या नहीं. उन्हें इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए या नहीं यह उनका निर्णय होगा. हालांकि, हम सिर्फ ये देख सकते हैं कि क्या संवैधानिक रूप से स्पीकर पहले किस मुद्दे पर निर्णय कर सकता है. CJI ने कहा कि कोर्ट ये तय नहीं करेगा कि स्पीकर को क्या करना है.
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बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधायक कोई ब्यूरोक्रेट या कोई नौकरशाह नहीं हैं, जो कि इस्तीफा देने के लिए उन्होंने कोई कारण बताना पड़े. मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर व्यक्ति विधायक नहीं रहना चाहता है, तो कोई उन्हें फोर्स नहीं कर सकता है. विधायकों ने इस्तीफा देने का फैसला किया और वापस जनता के बीच जाने की ठानी है. अयोग्य करार दिया जाना इस इच्छा के खिलाफ होगा.
इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर हम आपकी बात मानें, तो क्या हम स्पीकर को कोई ऑर्डर दे सकते हैं? आप ही बताएं कि ऐसे में क्या ऑर्डर हम दे सकते हैं? मुकुल रोहतगी ने इस दौरान मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गोवा के उदाहरण भी पेश किए.
CJI ने पूछा कि जब विधायकों ने इस्तीफा दिया तो स्पीकर ने क्यों कुछ नहीं किया, क्यों वो लगातार कहते रहे कि वह तुरंत फैसला नहीं कर सकते हैं. स्पीकर की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आप बंदिशे हटाइए, हम कल तक इस्तीफे और अयोग्यता पर फैसला कर लेंगे. साथ ही एक कारण भी देंगे.