कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए हाई वोल्टेज प्रचार अभियान समाप्त हो चुका है. राज्य के तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और जद (एस) नेताओं ने मतदाताओं को लुभावने दावे एवं वादे कर उनका मत और मन जीतने की हर संभव कोशिश कर चुके हैं. हर पार्टी बहुमत का आंकड़ा पार करने के दावे कर रही है.
पिछले कुछ दिनों से सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के शीर्ष नेता राज्य भर में प्रचार अभियान पर थे. यहां तक कि सत्तारूढ़ भाजपा वैकल्पिक सरकार के 38 साल पुराने पैटर्न को तोड़ने और दक्षिण भारत में भी अपना गढ़ बनाए रखने का प्रयास कर रही है. उधर कांग्रेस अपनी ओर से 2024 के लोकसभा चुनावों में खुद को मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में स्थापित करने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही है. भाजपा के पैटर्न पर कांग्रेस ने भी कर्नाटक चुनाव प्रचार के लिए अपने शीर्षस्थ नेताओं को उतारा है. यही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जद (एस) को भी खुद के दम पर सरकार बनाने के लिए बहुमत जुटाने की उम्मीद लगाए बैठी है
कर्नाटक चुनाव: महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र
वरुण विधानसभा सीट
वरुण विधान सभा सीट के लिए लिंगायत समर्थन वाले दो प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस के सिद्धारमैया और भाजपा के वी सोमन्ना पर सभी की नजरें रहेंगी. हालांकि अटकलें लगाई जा रही हैं कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया को कड़ा मुकाबला झेलना पड़ सकता है, क्योंकि वी सोमन्ना लिंगायत मठों के भीतर तक अपनी साख रखते हैं, और लिंगायत मतदाताओं पर जीत का आधारशिला तैयार कर सकते हैं. वरुण निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के सोमन्ना वोक्कालिगा और लिंगायत के बीच एक सेतु माना जाता है. वहीं कांग्रेस के सिद्धारमैया के बेटे एवं पूर्व विधायक यतींद्र घर-घर विख्यात हैं, जिन्हें पूरे वरुण में डॉक्टर के नाम से जाना जाता है.
कनकपुर विधानसभा सीट
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और राजस्व मंत्री आर अशोक के बीच कनकपुर में हाई-प्रोफाइल मुकाबला के कयास लगाये जा रहे हैं. शिवकुमार के गढ़ कनकपुर में भाजपा ने वोक्कालिगा के प्रमुख चेहरे अशोक को कांग्रेस के विरुद्ध खड़ा किया है. देवेगौड़ा के विकल्प में शिवकुमार शक्तिशाली नेता हैं, जिनकी अच्छी छवि है. वह वोक्कालिगा और लिंगायत कार्यक्रमों में भी निरंतर आते-जाते रहे हैं. 65 वर्षीय आर अशोक ने बड़े संयमित तरीके से वोक्कालिगा नेता के रूप में खुद को गढ़ा है. अशोक येदियुरप्पा मंत्रिमंडल में उस समय उपमुख्यमंत्री बने, जब भाजपा ने 2008 में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई. उन्होंने सबसे बड़े निर्वाचन क्षेत्र में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड बनाया, जब उन्होंने साल 2004 में पूर्ववर्ती सीट पर 84 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी.
चन्नापटना विधानसभा सीट
चन्नपटना विधानसभा सीट वर्तमान में जद (एस) प्रमुख और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के पास है. जद (एस) पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने की संभावना नहीं है, लेकिन वे किंगमेकर बन सकते हैं. चन्नपटना सीट कुमारस्वामी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई साबित हो सकती है, जो 2004 से अपराजित रहे हैं.
शिग्गांव विधान सभा सीट
शिग्गांव कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की सीट है, जो कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण एवं जिताऊ मानी जा रही है. हालांकि मृदुभाषी, स्पष्ट बात करने वाले नेता बोम्मई ने मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला है, उन पर कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं, जिससे कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन की संभावना भी बन रही है.
शिकारीपुरिया विधानसभा सीट
पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा के निर्वाचन क्षेत्र शिकारीपुरिया में एक दिलचस्प मुकाबले की चर्चा जोरों पर है, क्योंकि पूर्व सीएम ने इस साल चुनावी राजनीति से सेवानिवृत्ति की घोषणा कर दी थी,
इस सीट से अब उनके बेटे बी.वाई. विजयेंद्र चुनाव लड़ेंगे, जो कर्नाटक भाजपा के उपाध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं, जबकि कांग्रेस ने इस निर्वाचन क्षेत्र मलतेश को टिकट दिया है.
चिकमंगलूर विधानसभा सीट
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि की यह पारंपरिक सीट है, जिसे वह 2004 से जीतते आ रहे हैं. इस बार कांग्रेस ने एच डी थमैय्या को जीत की उम्मीद के साथ मैदान में उतारा है. वहीं जद (एस) ने बीएम थिम्मा शेट्टी को अपना प्रत्याशी बनाया है, गौरतलब है कि पिछला चुनाव उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था.