कर्नाटक (Karnataka) में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के 13 विधायकों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपने से राज्य में मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी (H D Kumaraswamy) के नेतृत्व वाली महज साल भर पुरानी सरकार खतरे में पड़ गई है. यदि इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो सत्तारूढ़ गठबंधन (जिसके 118 विधायक हैं) 224 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत खो देगा. वहीं, भाजपा (BJP) के 105 विधायक हैं. कांग्रेस और जद (एस) के विधायकों के समूह के अपना इस्तीफा सौंपने के लिए विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) के कार्यालय पहुंचने और बाद में राजभवन में राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात करने के बाद गठबंधन सरकार की स्थिरता का संकट गहरा गया है. दरअसल, हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बाद से गठबंधन सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे.
राज्यपाल से मिलने के बाद जद(एस) विधायक ए एच विश्वनाथ ने कहा, ‘‘आनंद सिंह सहित कांग्रेस और जद(एस) के 14 विधायकों ने अपना इस्तीफा (विधानसभा की सदस्यता से) स्पीकर को सौंपा है...हम इस विषय को राज्यपाल के संज्ञान में भी लाये हैं.’’ हालांकि, विधानसभा सचिवालय सूत्रों ने बताया कि कुल 13 विधायकों ने अपना इस्तीफा सौंपा है, जिनमें सिंह भी शामिल हैं जिन्होंने (सिंह ने) इस हफ्ते की शुरूआत में स्पीकर से मिलने के बाद अपना इस्तीफा सौंपा था. विश्वनाथ ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रही. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि इस बगावत के पीछे भाजपा का हाथ है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार विधायकों के साथ तालमेल बैठाने में नाकाम रही.... वह लोगों की उम्मीदों पर भी खरा नहीं उतर पाई.’’
इस आरोप पर कि भाजपा ‘‘ऑपरेशन लोटस (भाजपा के चुनाव चिह्न)’’ के जरिए राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है, उन्होंने कहा, ‘‘यह आपकी मनगढ़ंत बात है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसका कोई भाजपाई पहलू नहीं है. हम सभी वरिष्ठ हैं. कोई ऑपरेशन नहीं हो सकता...हम सरकार की उदासीनता के खिलाफ स्वेच्छा से इस्तीफा दे रहे हैं.’’ विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार उस वक्त अपने कार्यालय में नहीं थे, जब विधायक वहां पहुंचे. हालांकि उन्होंने इस्तीफों की पुष्टि की और कहा, ‘‘सरकार गिरेगी या बरकरार रहेगी, इसका फैसला विधानसभा में होगा.’’ इस बीच, आखिरी कोशिश के तहत कांग्रेस के "संकटमोचक" एवं मंत्री डी के शिवकुमार ने विधायकों से मुलाकात की और उन्हें मनाने की कोशिश की.
वहीं, नयी दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कर्नाटक के ताजा घटनाक्रम के मद्देनजर बैठक की और विचार-विमर्श किया. बैठक के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ''कर्नाटक की कांग्रेस-जद(एस) सरकार शुरू से ही भाजपा को हजम नहीं हो रही है. वह विधायकों की मंडी लगाकर सरकार गिराने का षडयंत्र कर रही है.'' विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन का संख्या बल स्पीकर के अलावा 118 -- कांग्रेस-78, जद(एस)-37, बसपा-1 और निर्दलीय-2 विधायक है. इसमें वे विधायक भी शामिल हैं जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है. यह भी पढ़ें- कर्नाटक: जेडीएस-कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे के बाद सरकार पर संकट, बीजेपी बोली- हम सरकार बनाने को तैयार
जिन विधायकों को स्पीकर के कार्यालय में देखा गया, उनमें कांग्रेस के रमेश जरकीहोली (गोकक), प्रताप गौड़ा पाटिल (मास्की), शिवराम हेब्बार (येलापुर), महेश कुमाथल्ली (अथानी), बीसी पाटिल (हिरेकेरुर), बिरातिबासवराज (के आर पुरम), एस टी सोम शेखर (यशवंतपुर) और रामलिंग रेड्डी (बीटीएम लेआउट) शामिल हैं. जद (एस) के विधायकों में ए एच विश्वनाथ (हुंसुर), नारायण गौड़ा (के आर पेट) और गोपालैया (महालक्ष्मी लेआउट) शामिल हैं. विश्वनाथ ने हाल ही में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. स्पीकर कुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘11 विधायकों ने कार्यालय में अपना इस्तीफा सौंपा है. मैंने अधिकारियों को (इस्तीफा) पत्र रख लेने और पावती देने के लिए कहा...मंगलवार को मैं कार्यालय जाऊंगा और नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई करूंगा.’’
बाद में, कांग्रेस विधायक मुनिरत्न (राजराजेश्वरी नगर) ने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया. विधानसभा सचिवालय सूत्रों ने यह जानकारी दी. वह भी राजभवन के बाहर बागी विधायकों के साथ देखे गए.
सरकार के भविष्य के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा, ‘‘इंतजार कीजिए और देखिए, मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना...सरकार गिर जाएगी या बरकरार रहेगी, यह विधानसभा में तय होगा....’’ उल्लेखनीय है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने आशंका जताई थी कि भाजपा लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर सकती है. हाल ही में हुए आम चुनाव में राज्य की 28 लोकसभा सीटों में कांग्रेस और जद(एस), दोनों दल सिर्फ एक-एक सीट पर ही जीत हासिल कर पाए थे. भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी और एक सीट पर भगवा पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी.