झारखंड में विधानसभा चुनाव की आहट सुनने के बाद करीब सभी राजनीतिक दल अपनी सियासी गोटी बिछाने लगे हैं. बिहार में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के साथ सरकार चला रहे जनता दल-युनाइटेड (Janata Dal-United ) ने भी न केवल सियासत की बिसात पर अपने मोहरे उतारने की घोषणा कर दी है, बल्कि झारखंड में अपनी जमीन मजबूत करने में भी जुट गया है.
जद (यू) ने वैसे तो झारखंड की सभी 81 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है, परंतु सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने कम से कम 30 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी प्रारंभ कर दी है. पार्टी के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झारखंड के नेताओं को टास्क देकर चुनावी तैयारी करने के निर्देश दिए हैं. इस बीच झारखंड में पार्टी को मजबूत करने की कवायद की जा रही है.
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झारखंड के चार नेताओं ने पटना पहुंचकर रविवार को जद (यू) की सदस्यता ग्रहण की थी. इनमें झारखंड प्रदेश भाजपा के पूर्व प्रदेश मंत्री और प्रवक्ता प्रेम कटारूका, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता अरुण मंडल, झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के मनोज यादव और झामुमो के प्रभात कुमार प्रभाकर शामिल हैं.
झारखंड जद (यू) के अध्यक्ष सालखन मुर्मू कहते हैं, "हम नीतीश कुमार के ब्रांड या मॉडल को उतारेंगे. नीतीश कुमार ने पूरे बिहार को पिछले 14 सालों में चमका दिया है. नीतीश कुमार ने गांव-गांव तक पानी, बिजली सड़क पहुंचाकर राजनीति में 'विकास पुरुष' के रूप में अपनी पहचान बनाई है." भाजपा से मुकाबला करने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ सभी राज्यों में तालमेल नहीं है.
उन्होंने भाजपा के साथ रिश्ते में खटास आने से भी इंकार किया. बिहार में जद (यू) के नेता प्रवीण सिंह कहते हैं, "जद (यू) राष्ट्रीय स्तर का संगठन है. पार्टी के विस्तार के लिए चुनाव में उतरना ही पड़ेगा. हमलोग अरुणाचल प्रदेश में लड़े और वहां कई सीटों पर विजयी हुए हैं. नागालैंड में हमारे विधायक हैं."
उन्होंने कहा कि जद (यू) के चुनाव लड़ने के फैसले को किसी और नजरिए से नहीं देखा जा सकता. जद (यू) के एक नेता कहते हैं कि पार्टी विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के लिए नेताओं की तलाश कर रही है. कई लोगों को पार्टी में शामिल कराया जा रहा है. जद (यू) जमीनी स्तर पर संगठन का हाल जानने और चुनावी मिजाज को भांपने के लिए सर्वे भी करा रहा है.
सूत्रों का कहना है कि पार्टी झारखंड में जातीय समीकरण को भी आधार बनाकर सीटों की पहचान में जुटी है. पार्टी उन सीटों पर खास ध्यान दे रही है, जहां पर पूर्व में समता पार्टी का आधार रहा है. कुर्मी जाति बहुल इलाकों पर भी जोर लगाने का निर्देश नेताओं को दिया गया है. इधर, राजनीतिक समीक्षक जद (यू) के चुनाव लड़ने से झारखंड की सियासत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने की बात करते हैं.
राजनीति के जानकार और झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार बलबीर दत्त कहते हैं, "जद (यू) का यहां कोई आधार नहीं है. यहां चुनाव लड़कर वे कुछ अपना प्रचार कर सकते हैं तथा दूसरी पार्टियों के वोट काट सकते हैं." उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि अभी चुनाव में पांच महीने की देरी है, उसमें अगर कुछ परिवर्तन हो जाए तो नहीं कहा जा सकता है.