पीएम मोदी से मिलकर उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के लिए की ये मांग, EC भी तैयारियों में जुटा

इस साल के खत्म होने के पहले जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने की पूरी संभावना जताई जा रही है. इसी क्रम में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने हाल ही में प्रक्रियायों की समीक्षा के लिए 22 जिला चुनाव अधिकारियों के साथ अहम बैठक की.

पीएम मोदी और उमर अब्दुल्ला (Photo Credits: Facebook)

नई दिल्ली: इस साल के खत्म होने के पहले जम्मू और कश्मीर (Jammu And Kashmir) में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) होने की पूरी संभावना जताई जा रही है. इसी क्रम में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने हाल ही में प्रक्रियायों की समीक्षा के लिए 22 जिला चुनाव अधिकारियों के साथ अहम बैठक की. वहीं गुरुवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने पीएम मोदी (PM Modi) से मुलाकात की और सूबे में इसी साल चुनाव कराने की मांग की.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ हमने प्रधानमंत्री से दो मुद्दों पर बातचीत की. हमने उनसे कहा कि ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे कश्मीर घाटी में स्थिति खराब हो. हमने उनसे यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव साल समाप्त होने से पहले कराए जाएं.’’

पिछले शुक्रवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अब्दुल्ला ने कश्मीर के लोगों को राज्य में आने वाले विधानसभा चुनावों के बहिष्कार को लेकर चेताते हुए कहा कि इससे बीजेपी को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि चुनावों के बहिष्कार से 2019 के लोकसभा चुनावों में अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र के त्राल इलाके में बीजेपी को फायदा हुआ था.

गौरतलब हो कि राज्य में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के उदेश्य से हाल ही में केंद्रीय अर्धसैन्य बलों की 100 अतिरिक्त टुकड़ियों को भेजा गया है. इनमें से 20 टुकड़ियां कश्मीर और 20 जम्मू में भेजी गई हैं. टुकड़ियां भेजे जाने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि शायद केंद्र राज्य में अनुच्छेद 35-ए हटा सकता है.

बीजेपी के पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद जम्मू कश्मीर में 19 जून 2018 को राज्यपाल शासन लगाया गया. बहरहाल, नयी सरकार के गठबंधन के लिए पीडीपी में खरीद-फरोख्त और दल-बदल के आरोपों के बीच पिछले साल 21 नवंबर को विधानसभा भंग कर दी गई. राज्यपाल शासन के छह महीने बीतने के साथ राज्य में इस साल जनवरी से राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. कानून के अनुसार, विधानसभा भंग होने के छह महीने के भीतर राज्य में नए सिरे से चुनाव होने चाहिए.

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