Amarnath Yatra: जम्मू-कश्मीर के LG मनोज सिन्हा ने आज अमरनाथ यात्रा की समापन पर की पूजा अर्चना

शुक्रवार की सुबह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राजभवन में वार्षिक अमरनाथ यात्रा की 'समापन पूजा' की. सिन्हा ने धार्मिक भजनों और मंत्रों के जाप के साथ लोगों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की.

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शुक्रवार की सुबह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राजभवन में वार्षिक अमरनाथ यात्रा की 'समापन पूजा' की. सिन्हा ने धार्मिक भजनों और मंत्रों के जाप के साथ  लोगों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की. उन्होंने कहा, "मैं तीर्थयात्रियों के लिए  यात्रा को असान बनाने के लिए सभी  नागरिकों के निस्वार्थ योगदान की वास्तव में प्रशंसा और सराहना करता हूं।" यात्रा 29 जून को जम्मू से सेना और स्थानीय पुलिस के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुरू हुई थी.बादल फटने की घटना के बाद, अमरनाथ यात्रा को आंशिक रूप से स्थगित कर दिया गया और तीर्थयात्रियों को बालटाल बेस कैंप में रुकने के लिए कहा गयाथा, यह 11 जुलाई को नुनवान पहलगाम की ओर से फिर से शुरू हुई थी. यह भी पढ़ें: बिहार में बीजेपी का साथ छोड़ने के बाद इस जगह भी मोदी-शाह की जोड़ी से दो-दो हाथ करेंगे नीतीश कुमार? बन रही है रणनीति

पिछले महीने, गृह राज्य मंत्री (MoS) नित्यानंद राय ने लोकसभा को सूचित किया था कि अचानक बाढ़ के कारण कम से कम 15 लोगों की जान चली गई, लेकिन जुलाई 2022 में अमरनाथ यात्रा के दौरान किसी भी व्यक्ति के लापता होने की सूचना नहीं मिली है.

जुलाई 2022 में अमरनाथ यात्रा के दौरान अचानक बाढ़ के कारण जान गंवाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पर भाजपा सांसद नीरज शेखर के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, MoS राय ने बताया, "जम्मू और कश्मीर सरकार द्वारा दी गयी सुचना के अनुसार, अचानक आई बाढ़ के कारण 15 लोगों की जान चली गई थी, लेकिन किसी के लापता होने की कोई खबर नहीं है."

राय ने आगे कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CRPF) और यूटी सरकार के अधिकारियों जैसी सरकारी एजेंसियों को तीर्थयात्रियों के खोज अभियान, बचाव और राहत के लिए तैनात किया गया था.हिमालय के ऊपरी भाग में स्थित भगवान शिव के 3,880 मीटर ऊंचे गुफा मंदिर के लिए अमरनाथ तीर्थ यात्रा पहलगाम और बालटाल के जुड़वां मार्गों से आयोजित की जाती है।

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