बांग्लादेश में हिंदुओं की आवाज दबाई जा रही...ISKCON गुरू चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर भारत सरकार ने दी पहली प्रतिक्रिया

मोदी सरकार ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत खारिज होने पर गहरी चिंता व्यक्त की है. भारत सरकार ने इस घटना को गंभीरतापूर्वक लिया है, जो बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं और अन्य समुदायों पर बढ़ते हमलों के संदर्भ में घटित हुई है.

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद ISKCON के प्रमुख नेताओं में से एक चिन्मय कृष्ण दास को ढाका पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले को लेकर इस्कॉन ने X पर ट्वीट कर भारत सरकार से मदद मांगीय इस्कॉन ने ट्वीट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एश जयशंकर को भी टैग किया है.

अब भारत सरकार ने इस प्रतिक्रिया दी है. मोदी सरकार ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत खारिज होने पर गहरी चिंता व्यक्त की है. भारत सरकार ने इस घटना को गंभीरतापूर्वक लिया है, जो बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं और अन्य समुदायों पर बढ़ते हमलों के संदर्भ में घटित हुई है.

बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कट्टरपंथी तत्वों द्वारा किए गए हमलों की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी, लूटपाट, चोरी और देवताओं तथा मंदिरों का अपमान जैसी घटनाएँ शामिल हैं. भारत सरकार ने इसे दुखद बताया है कि जब इन घटनाओं के अपराधी अब तक पकड़े नहीं गए हैं, वहीं शांतिपूर्वक सभा कर अपने जायज अधिकारों की मांग करने वाले एक धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं.

भारत सरकार ने यह भी नोट किया है कि श्री चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ बांग्लादेश में जो शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहे थे, उन्हें भी हिंसा का सामना करना पड़ा है. यह घटना यह दर्शाती है कि कैसे एक सशक्त आवाज़ को दबाने के प्रयास हो रहे हैं, जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रही है.

भारत सरकार ने बांग्लादेश सरकार से अपील की है कि वह हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और उन्हें शांतिपूर्वक सभा करने और अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार दे. साथ ही, सरकार ने बांग्लादेश की अधिकारियों से मांग की है कि वे श्री दास और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा और अन्य उत्पीड़न की गंभीरता से जांच करें और इन घटनाओं में दोषी व्यक्तियों को सजा दिलवाएं. भारत सरकार का यह बयान न केवल बांग्लादेश में रह रहे हिंदू समुदाय के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए भी महत्वपूर्ण है.

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