India Assures IMF: श्रीलंका को मिला भारत का साथ, इंडिया ने 2.9 अरब डॉलर के IMF पैकेज के लिए दिया समर्थन
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कोलंबो, 20 जनवरी: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को घोषणा की कि भारत ने ऋणग्रस्त श्रीलंका को बहुप्रतीक्षित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) राहत पैकेज के लिए आवश्यक आश्वासन दिया है. इसके साथ ही भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के उबरने के प्रयासों को सार्वजनिक रूप से समर्थन देने वाला पहला प्रमुख ऋणदाता बन गया है. Indian Railways Data Breach: रेलवे का डेटा लीक! जानें कितने में Dark Web पर बिक रहा करोड़ो यूजर्स का नाम-नंबर

दो दिवसीय यात्रा पर बृहस्पतिवार को श्रीलंका पहुंचे जयशंकर ने शुक्रवार सुबह अपने श्रीलंकाई समकक्ष अली साबरी और राष्ट्रपति रानिल विक्रमासिंघे सहित अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात की.

जयशंकर ने साबरी के साथ एक प्रेस बयान में कहा कि कोलंबो आने का मेरा पहला मकसद इन कठिन पलों में श्रीलंका के साथ भारत की एकजुटता व्यक्त करना है. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे समकक्ष और अन्य श्रीलंकाई मंत्रियों के साथ कल (बृहस्पतिवार) शाम मेरी मुलाकात के दौरान बहुत अच्छी चर्चा हुई.’’

श्रीलंका 1948 में आजादी के बाद सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और उसे संकट से उबरने में मदद के लिए भारत ने विभिन्न तरीकों से करीब चार अरब अमेरिकी डॉलर की मदद दी है. जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारे लिए, यह ‘पड़ोसी पहले’ का मुद्दा है और किसी सहयोगी को अपने हाल पर नहीं छोड़ना है....’’

उन्होंने राष्ट्रपति विक्रमसिंघे की मौजूदगी में मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि भारत ने दृढ़ता से महसूस किया है कि श्रीलंका के ऋणदाताओं को इसके उबरने के प्रयासों में मदद के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत ने तय किया है कि वह दूसरों का इंतजार नहीं करेगा, बल्कि उसे जो उचित लगेगा, वैसा करेगा.

जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने श्रीलंका के लिए आगे बढ़ने का रास्ता साफ करने की खातिर आईएमएफ को वित्तपोषण का आश्वासन दिया है. हमारी उम्मीद है कि इससे न केवल श्रीलंका की स्थिति मजबूत होगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सभी द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ समान व्यवहार किया जाए.’’

श्रीलंका आईएमएफ से 2.9 अरब डॉलर का ऋण हासिल करने के लिए प्रयासरत है. वह चीन, जापान और भारत जैसे प्रमुख कर्जदाताओं से वित्तीय आश्वासन हासिल करने की कोशिश कर रहा है. आईएमएफ ने राहत पैकेज को रोक दिया है और वह श्रीलंका के प्रमुख कर्जदाताओं से वित्तीय आश्वासन चाहता है.

जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत ऊर्जा, पर्यटन और बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों सहित श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में अधिक से अधिक निवेश को प्रोत्साहित करेगा.’’ उन्होंने कहा कि भारत एक भरोसेमंद साझेदार है, जो श्रीलंका को जरूरत महसूस होने पर उसकी मदद के लिए काफी कुछ करने को तैयार है.

जयशंकर ने कहा कि भारत ने तय किया है कि वह दूसरों का इंतजार नहीं करेगा, बल्कि उसे जो उचित लगेगा, वैसा करेगा. उन्होंने कहा, ‘‘हमने आईएमएफ को वित्तीय आश्वासन दिया है, ताकि श्रीलंका को आगे बढ़ने में मदद मिल सके.’’

विदेश मंत्री ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इससे न केवल श्रीलंका की स्थिति मतबूत होगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सभी द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ समान व्यवहार हो. गौरतलब है कि श्रीलंका अभी गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति का सामना कर रहा है और कर्ज पुनर्गठन को लेकर वह भारत से सहयोग को लेकर आशान्वित है.

श्रीलंका आईएमएफ से 2.9 अरब डॉलर का ऋण हासिल करने के लिए प्रयासरत है. वह चीन, जापान और भारत जैसे प्रमुख कर्जदाताओं से वित्तीय आश्वासन हासिल करने की कोशिश कर रहा है. आईएमएफ ने राहत पैकेज को रोक दिया है और वह श्रीलंका के प्रमुख कर्जदाताओं से वित्तीय आश्वासन चाहता है.

वहीं, गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को भारत ने पिछले वर्ष 3.9 अरब अमेरिकी डॉलर की ऋण सुविधा प्रदान की. जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका में आर्थिक सुधार का रास्ता वृहद निवेश से प्रेरित होगा और इस बारे में वह कारोबारी समुदाय के साथ स्पष्ट संदेश साझा कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में विशेष रूप से ऊर्जा, पर्यटन और बुनियादी ढांचा के क्षेत्रों में भारत अधिक निवेश को प्रोत्साहित करेगा. हम उम्मीद करेंगे कि श्रीलंका की सरकार और अधिक कारोबार अनुकूल वातावरण सृजित करेगी.’’

जयशंकर ने कहा कि भारत ने हमेशा श्रीलंका की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने राजनीतिक स्थितियों के बारे में जानकारी दी.

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमने उन्हें (विक्रमसिंघे को) अपने विचारों से अवगत कराया कि श्रीलंका में राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता के लिए 13ए का पूर्ण क्रियान्वयन और शीघ्र प्रांतीय चुनाव कराना महत्वपूर्ण है.’’ उन्होंने कहा कि मेलमिलाप की दिशा में टिकाऊ प्रयास श्रीलंका के सभी वर्गों के हित में है.

जयशंकर ने राष्ट्रपति विक्रमसिंघे को जल्द किसी तिथि पर भारत आने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का निमंत्रण पत्र सौंपा, ताकि इस बारे में चर्चा की जा सके कि किस प्रकार श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को मजबूती से पटरी पर लाना सुगम बनाया जा सकेगा.

विदेश मंत्री ने कहा कि श्रीलंका की सबसे गंभीर चुनौतियों में एक ऊर्जा सुरक्षा का है. उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में श्रीलंका की काफी संभावनाएं हैं और यह राजस्व का सतत माध्यम बन सकता है. उन्होंने कहा कि त्रिंकोमाली में ऊर्जा केंद्र के रूप में उभरने की क्षमताएं हैं.

पर्यटन को श्रीलंका की जीवनरेखा करार देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारतीय पर्यटक कोलंबो आकर व्यवहारिक रूप से श्रीलंका के प्रति सकारात्मक भावना व्यक्त कर रहे हैं. साबरी ने श्रीलंका को संकट के समय में समर्थन देने के लिए भारत का आभार जताया.

उन्होंने कहा कि यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भारत से प्राप्त चार अरब अमेरिकी डॉलर की ऋण सुविधा के साथ-साथ अन्य मानवीय सहायता के कारण देश को आर्थिक और वित्तीय स्थिरता प्रदान करने में मदद मिली. जयशंकर ने बाद में प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने से मुलाकात की और परिवहन एवं शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के बारे में चर्चा की.

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