कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार हाल ही में तमिलनाडु स्थित ईशा योग सेंटर में महाशिवरात्रि समारोह में शामिल हुए, जिससे कांग्रेस के भीतर मतभेद उभरकर सामने आ गए हैं. कर्नाटक के सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आलोचना करने वालों के साथ शिवकुमार मंच कैसे साझा कर सकते हैं?
राजन्ना ने उठाए सवाल
राजन्ना ने मीडिया से कहा, "सद्गुरु ने खुद कहा था कि वह राहुल गांधी को नहीं जानते. शिवकुमार मुझसे बेहतर जानते हैं कि लोकसभा में हमारे नेता के बारे में क्या कहा जाता है. अब उन्हें ही जवाब देना चाहिए कि ऐसे लोगों के साथ मंच साझा करना कितना उचित है."
डी.के. सुरेश ने किया बचाव
हालांकि, पूर्व सांसद डी.के. सुरेश, जो शिवकुमार के भाई भी हैं, ने उनका बचाव किया. उन्होंने कहा कि शिवकुमार ने हमेशा पार्टी को सूचित करके ही ऐसे आयोजनों में भाग लिया है. सुरेश ने बताया, "जब भी शिवकुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, उन्होंने पार्टी आलाकमान को पहले ही जानकारी दी. उन्होंने ईशा फाउंडेशन के महाशिवरात्रि कार्यक्रम में शामिल होने की सूचना भी पार्टी को दी थी."
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिवकुमार की यात्रा गुप्त नहीं थी. सुरेश के अनुसार, "सद्गुरु ने स्वयं उन्हें कोयंबटूर में आमंत्रित किया था और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया. महाशिवरात्रि समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे."
शिवकुमार की सफाई
अपने दौरे का बचाव करते हुए शिवकुमार ने कहा, "मैं हिंदू के रूप में जन्मा था और हिंदू के रूप में मरूंगा. सद्गुरु कर्नाटक से हैं और कावेरी जल के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने मुझे व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया और मैं वहां गया. विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायक और नेता भी वहां थे, इसलिए यह मेरी व्यक्तिगत आस्था से जुड़ा मामला है."
उन्होंने आगे कहा, "मेरे निर्वाचन क्षेत्र में यीशु की लगभग 100 फीट ऊंची मूर्ति है, जिसे स्थानीय लोगों ने बनाया था. तब भाजपा ने मुझे 'येसुकुमार' कहा था. मैं सभी धर्मों और जातियों में विश्वास करता हूं. कांग्रेस की विचारधारा सभी को साथ लेकर चलने की है, इसलिए कुछ लोगों को यह पसंद आ सकता है और कुछ को नहीं."
पार्टी आलाकमान से दखल की मांग
राज्य के लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली ने कहा कि यह विवाद अब कर्नाटक से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है और पार्टी आलाकमान को इस पर संज्ञान लेना चाहिए. उन्होंने बेंगलुरु में कहा, "अब यह सिर्फ कर्नाटक तक सीमित नहीं है. यह दिल्ली से जुड़े नेताओं से संबंधित मामला बन चुका है. हमें नहीं पता कि सही क्या है और गलत क्या, लेकिन दिल्ली के नेताओं को इस पर ध्यान देना चाहिए."
क्या कहता है यह विवाद?
यह विवाद कांग्रेस के भीतर विचारधारा और व्यक्तिगत आस्था को लेकर मतभेद को उजागर करता है. एक ओर जहां कुछ नेता इसे राहुल गांधी के आलोचकों के साथ मंच साझा करने से जोड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शिवकुमार इसे व्यक्तिगत आस्था का विषय मान रहे हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस आलाकमान इस पर क्या रुख अपनाता है और क्या यह विवाद पार्टी के भीतर कोई बड़ा संकट खड़ा करता है या नहीं.













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