जयपुर: राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन को देखते हुए वसुंधरा सरकार पूरी तरह सतर्क हो गई है. इसी कड़ी में सरकार ने अब हार्दिक पटेल के गुर्जर आंदोलनकारियों को समर्थन देने के बाद प्रशासन ने उनके भरतपुर आने पर रोक लगा दी है. ख़बरों की मानें तो सरकार ने बयाना और आसपास के गुर्जर बाहुल्य गांवों में धारा-144 लगा दी गई है. साथ ही इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. सरकार ने आरएसी की 11 कंपनियों को बुला लिया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सूबे की सरकार ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पास सोमवार को जयपुर स्थित सचिवालय में बातचीत का न्यौता भेजा है. बता दें कि बैंसला बयाना के गांव अड्डा में 15 मई को महापंचायत की घोषणा कर आंदोलन की शुरुआत करने की घोषणा कर चुके हैं.
इसके साथ ही आंदोलन के मद्देनजर भरतपुर के संभागीय आयुक्त ने गुर्जर बाहुल्य 80 ग्राम पंचायतों के 167 गांवों में इंटरनेट पर 15 मई की शाम तक पाबंदी लगा दी है.अपनी मांगों को लेकर गुर्जर पांच बार आंदोलन कर चुके हैं और हर बार करोड़ों का नुकसान तो होता ही है साथ ही कई लोगों की जान भी चली जाती है.
वहीं दूसरी तरफ अब गुर्जर समाज का दूसरा गुट इसी दिन छत्तीसा गांव मोरोली में महापंचायत की तैयारी कर रहा है. गुर्जर आरक्षण की आहट के चलते भरतपुर, सवाईमाधोपुर, दौसा, करौली एवं आस-पास के जिलों में पुलिस व प्रशासन अलर्ट पर है. भरतपुर के बयाना, दौसा जिले के महुवा, सवाईमाधोपुर, करौली एवं आस-पास के जिलों के करीब पौने दो सौ गांवों में इंटरनेट बंदी 15 मई तक के लिए लागू कर दी गई है.
गौरतलब है कि गुर्जर समाज ओबीसी (OBC) का वर्गीकरण कर पांच फीसदी अलग से आरक्षण की मांग कर रहा है. मौजूदा समय में गुर्जर समाज को एमबीसी (मोस्ट बैकवर्ड क्लास) के तहत एक फीसदी का आरक्षण लाभ दिया जा रहा है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार गुर्जर आरक्षण की वजह से अब तक 145 करोड़ रुपए की सरकारी संपत्तियों और राजस्व का नुकसान हुआ है.साथ ही आम आदमियों व प्रतिष्ठानों का 13 हजार 500 करोड़ रूपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है.