GST की दूसरी वर्षगांठ आज, नए सुधारों को पेश करेगी मोदी सरकार
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) व्यवस्था को लागू हुए आज दो साल पूरे हो गए हैं. जीएसटी को संसद के केंद्रीय हॉल में आयोजित एक भव्य समारोह में 30 जून, 2017 की मध्यरात्रि को लागू किया गया था जिसके बाद यह एक जुलाई, 2017 से प्रभाव में आया था. जीएसटी के क्रियान्वयन की दूसरी वर्षगांठ पर सोमवार को सरकार इस अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में कुछ और सुधार पेश करेगी.
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) यानी माल एवं सेवा कर व्यवस्था को लागू हुए आज दो साल पूरे हो गए हैं. जीएसटी को संसद के केंद्रीय हॉल (Central Hall) में आयोजित एक भव्य समारोह में 30 जून, 2017 की मध्यरात्रि को लागू किया गया था जिसके बाद यह एक जुलाई, 2017 से प्रभाव में आया था. जीएसटी के क्रियान्वयन की दूसरी वर्षगांठ पर सोमवार को सरकार इस अप्रत्यक्ष कर प्रणाली (Indirect Tax System) में कुछ और सुधार पेश करेगी. इन सुधारों में नई रिटर्न प्रणाली, नकद खाता प्रणाली को तर्कसंगत बनाना और एकल रिफंड वितरण प्रणाली शामिल है. वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने रविवार को बयान में कहा कि वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) इस मौके पर विभिन्न विभागों के सचिवों और अन्य अधिकारियों के साथ आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे. बयान में कहा गया है कि जीएसटी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पासा पलटने वाला है और इसने बहुस्तरीय और जटिल कर ढांचे को एक सरल, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी आधारित कर व्यवस्था में बदला है.
मंत्रालय ने कहा कि वह एक जुलाई 2019 से परीक्षण के आधार पर एक नई रिटर्न प्रणाली शुरू करेगा. एक अक्टूबर से इसे अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा. मंत्रालय ने कहा, ‘‘छोटे करदाताओं के लिए सहज और सुगम रिटर्न का प्रस्ताव किया गया है.’’ एक नकद खाते के संदर्भ में सरकार इसे तर्कसंगत बनाते हुए 20 मदों को पांच प्रमुख मदों में शामिल करेगी. कर, ब्याज, जुर्माने, शुल्क और अन्य के लिए केवल एक नकद बही खाता होगा. मंत्रालय ने कहा कि एक एकल रिफंड वितरण प्रणाली बनाई जाएगी जिसमें सरकार सभी प्रमुख रिफंडों सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी और उपकर के रिफंड को मंजूरी देगी.
उद्योग जगत ने कहा- जीएसटी 2.0 लागू करने का समय
जीएसटी व्यवस्था को लागू हुए दो साल पूरे हो गए हैं. भारतीय उद्योग ने ऐसे में राय जताई है कि अब इस कर सुधार का तेजी से दूसरा चरण शुरू होना चाहिए और जीएसटी के दायरे में बिजली, तेल एवं गैस, रीयल एस्टेट और अल्कोहल को लाया जाना चाहिए. साथ ही कर के स्लैब को दो-तीन तक सीमित किया जाना चाहिए. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा कि जीएसटी 2.0 भारतीय अर्थव्यवस्था को वृद्धि के अगले चरण पर ले जाएगा. सीआईआई ने अखिल भारतीय स्तर पर एकल पंजीकरण प्रक्रिया की भी वकालत की.
एक अन्य उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा, ‘‘हम इस बात को स्वीकार करते हैं कि जीएसटी के क्रियान्वयन को लेकर समस्या अब सुलझ गई है. हमें आगे बढ़ते हुए जीएसटी ढांचे के उद्देश्य यानी सरलीकृत अप्रत्यक्ष कराधान प्रणाली के लिए काम करना चाहिए.’' उद्योग मंडल ने कहा कि जब अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (एएआर) के सदस्य राज्य कर या केंद्रीय कर विभाग के अधिकारी होते हैं तो झुकाव राजस्व की ओर रहता हैं. इसी आधार पर वे जीएसटी कानून की व्याख्या करते हैं और फैसला सुनाते हैं. यह भी पढ़ें- GST रिफंड का गलत क्लेम करने वाले 5 हजार एक्सपोर्टर्स की हुई पहचान, जांच के बाद होगा सेटलमेंट
फिक्की ने कहा कि विभिन्न राज्यों में राजस्व अधिकारियों के अलग-अलग फैसलों से एक असमंजस पैदा हुआ है. उद्योग मंडल ने सुझाव दिया कि सरकार को पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की तर्ज पर ही सरकार को एक स्वतंत्र उच्चस्तरीय केंद्रीय निकाय के गठन पर विचार करना चाहिए. सीआईआई के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ उद्योगपति आदि गोदरेज ने कहा कि दो साल में जीएसटी मजबूत हुआ और इसने अच्छे परिणाम दिए हैं.
भाषा इनपुट