देवास लोकसभा सीट: दांव पर लगी बीजेपी और कांग्रेस की साख, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत खा चुके है मात

लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के लिये प्रचार जोरों पर है. सभी राजनीतिक दल वोटरों को लुभाने के लिए पूरे दमखम के साथ जुटे है. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के देवास निर्वाचन क्षेत्र में भी चुनावी पारा खूब चढ़ा हुआ है.

देवास लोकसभा सीट (File Photo)

भोपाल: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) के सातवें और अंतिम चरण के लिये प्रचार जोरों पर है. सभी राजनीतिक दल वोटरों को लुभाने के लिए पूरे दमखम के साथ जुटे है. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास (Dewas) निर्वाचन क्षेत्र में भी चुनावी पारा खूब चढ़ा हुआ है. देवास लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल जीत का दावा कर रही है. हालांकि यहां के पुराने चुनावी इतिहास पर नजर डाले तो दोनों ही दलों के बीच कड़ा मुकाबला होना तय है.

शाजापुर निर्वाचन क्षेत्र की जगह साल 2008 में देवास लोकसभा सीट बनी थी. यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित रखी गई है. इसके अस्तित्व में आने के बाद सबसे पहले कांग्रेस ने यहां पर जीत का पताका फहराया. तब मोदी सरकार में मौजूदा केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत कांग्रेस के सज्जन सिंह से हार गए थे. हालांकि अगले ही लोकसभा चुनाव यानि साल 2014 में देवास सीट बीजेपी के कब्जे में आ गई. बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल ने देवास लोकसभा सीट जीत ली.

देवास संसदीय सीट से इस बार कांग्रेस ने पद्मश्री और कबीर वाणी गाने वाले भजन गायक प्रहलाद सिंह टिपानिया पर दांव लगाया है, जबकि बीजेपी ने टिपानिया के खिलाफ पूर्व जज महेंद्र सिंह सोलंकी को मैदान में उतारा है. आपको बता दें कि दोनों ही दलों के उम्मीदवारों की राजनीति में इस लोकसभा चुनाव से नई शुरुआत होने जा रही है.

देवास का 2014 में हाल-

मनोहर ऊंटवाल (बीजेपी)- 6 लाख 65 हजार 646 वोट

सज्जन सिंह (कांग्रेस)- 4 लाख 5 हजार 333 वोट

जानकारों की मानें तो मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए इस बार जीत की राह साल 2014 जितनी आसान नहीं है. लोकसभा चुनाव में इस बार बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश में अपनी सभी 27 सीटों को बचाना बड़ी चुनौती साबित होगी. सूबे कि कुल 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ दो सीटों-गुना एवं छिन्दवाड़ा पर साल 2014 में जीत मिली थी. बाकी सभी सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था.

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