गुवाहाटी: लोकसभा चुनाव से पहले असम में कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और तीन बार के विधायक कमलाख्या डे पुरकायस्थ ने भाजपा का हाथ थामने का फैसला किया है.पुरकायस्थ ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई से की थी. बाद में वह युवा कांग्रेस में शामिल हो गए और अंततः 2011 में करीमगंज जिले से विधायक बन गए.वर्ष 2016 में राज्य में भगवा तूफान के बीच, पुरकायस्थ दूसरी बार अपनी उत्तरी करीमगंज विधानसभा सीट जीतने में सफल रहे. उन्होंने 2021 में फिर से वही सीट जीती और असम में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बने.पुरकायस्थ एक मुखर नेता हैं और उन्हें अक्सर कई मुद्दों पर भाजपा और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर जमकर हमला करते देखा गया है.
हाल ही में मुख्यमंत्री के साथ कई बैठकों के बाद, पुरकायस्थ को भाजपा में शामिल होने की पेशकश की गई.कांग्रेस विधायक ने आईएएनएस से कहा, "हां, मुझे मुख्यमंत्री से प्रस्ताव मिला है और मैंने उनका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है."इस बीच, यह स्पष्ट नहीं है कि पुरकायस्थ सीधे भगवा खेमे में शामिल होंगे या विधानसभा के अंदर और बाहर भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करेंगे.सूत्रों के मुताबिक, सरमा ने पुरकायस्थ को सलाह दी है कि वह कांग्रेस से इस्तीफा दिए बिना भाजपा को समर्थन देने का ऐलान करें, ताकि फिलहाल उन्हें विधायक पद न गंवाना पड़े.एक अन्य विधायक शशिकांत दास, जो कांग्रेस के टिकट पर राहा निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे, ने पहले इसी तरह भाजपा का समर्थन किया था. कांग्रेस ने दास को पार्टी से निलंबित कर दिया, हालांकि उन्होंने बिना किसी उपचुनाव के विधायक के रूप में कार्य करना जारी रखा.दक्षिणी असम के बराक घाटी क्षेत्र में पुरकायस्थ कांग्रेस का सबसे प्रमुख चेहरा थे. उनके जाने के बाद सबसे पुरानी पार्टी को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उस क्षेत्र में बड़ा झटका लगा है.