मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ में अंदरूनी गुटबाजी से कांग्रेस भयभीत, CM उम्मीदवार के नाम से काट रही कन्नी

पिछले कुछ सालों में भारत में चुनावों के दौरान चहरे की अहमियत बढ़ गई है. 2014 में पीएम मोदी की जीत इसका सबसे बड़ा उदाहरण है

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Photo Credits: Twitter@INCCongress)

नई दिल्ली: इस साल के अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ में चुनाव होने हैं. तीनों राज्यों में बीजेपी की सत्ता है और पूरी संभावना है कि पार्टी मौजूदा मुख्यमंत्रीयों के चहरे के साथ ही चुनावी मैदान में उतरेगी. मगर कांग्रेस जिसके इन चुनावों में बीजेपी को टक्कर देने की संभावना है उसने अभी तक राज्यों में अपना कप्तान घोषित नहीं किया है. वैसे जानकारों की माने तो पार्टी तीनो राज्यों में अंदरूनी गुटबाजी के भय से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं कर रही हैं. बता दें कि कांग्रेस को गुजरात चुनावों के दौरान सीएम का चेहरा घोषित नहीं करने का खामियाजा भुगतना पड़ा था. सियासी जानकारों की माने तो अगर कांग्रेस गुजरात में सीएम का उम्मीदवार घोषित करती तो शायद और बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी.

बता दें कि पिछले कुछ सालों में भारत में चुनावों के दौरान चहरे की अहमियत बढ़ गई है. 2014 में पीएम मोदी की जीत इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. इसके आलावा बिहार 2015 में हुए चुनावों में महागठबंधन द्वारा नीतीश कुमार को प्रोजेक्ट करना भी फायदेमंद साबित हुआ था. ऐसे में कांग्रेस द्वारा भी सीएम उम्मीदवार घोषित करने की मांग भी उठ रही है मगर पार्टी ने यह साफ़ संकेत दिए है कि वह राजस्थान ही नहीं मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में पार्टी किसी एक चेहरे पर दांव नहीं लगाएगी.

राजस्थान की स्थिति:

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राजस्थान में कांग्रेस में दो दिग्गज नेता हैं. एक ओर कांग्रेस के राष्ट्रिय महासचिव अशोक गहलोत हैं तो वहीं दूसरी ओर सूबे के पार्टी अध्यक्ष सचिन पायलट है. यदि कांग्रेस दोनों में से किसी एक का नाम आगे करती है तो दूसरा खेमा चुनाव से अपना हाथ उठा सकता है. दोनों ही नेताओं की सूबे की सियासत में अच्छी पकड़ हैं. ऐसे में एक के नाराज होने का फायदा बीजेपी को हो सकता है.

मध्य प्रदेश की स्थिति:

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मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पास तीन दिग्गज नेता मौजूद है. वहां कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के कंधो पर पार्टी की नैया पार लगाने की जिम्मेदारी है. वैसे सूबे में युवा चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम उम्मीदवार घोषित करने की मांग भी उठ रही है. मगर कांग्रेस की मुसीबत यह है कि यदि उन्होंने सिंधिया को सीएम उम्मीदवार घोषित किया तो कमलनाथ ही नहीं दिग्विजय सिंह की भी चुनावों में रूचि कम हो जाएगी. इसका खामियाजा पार्टी को चुनावों में भुगतना पड़ सकता है.

छत्तीसगढ:

छत्तीसगढ में भी कांग्रेस तीन नेताओं की सीएम बनाने की महत्त्वकंषा से सीएम उम्मीदवार का ऐलान नहीं कर रही है. सूबे में भूपेश बघेल, सत्यनारायण शर्मा और टीएस सिंहदेव के बीच नेतृत्व की होड़ है.

ज्ञात हो कि इन तीनों राज्यों में कांग्रेस के पास सरकार बनाने का सबसे अच्छा मौका है. ऐसे में पार्टी अंदरूनी कलह के चलते मौका नहीं खोना चाहती.

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