गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पांच दिन संभालेंगे गोरक्ष पीठाधीश्वर का पद

उत्तर प्रदेश सीएम योगी आदित्यनाथ आज पांच दिन तक गोरखपुर मंदिर में गोरक्षपीठाधीश्वर की भूमिका में रहेंगे. मंदिर प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी बुधवार सुबह तक गोरखपुर में रहेंगे. इस दौरान नवरात्र की सप्तमी, अष्टमी और नवमी का पूजन करने के बाद दशहरे के दिन परंपरागत विजय जुलूस की बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर अगुवाई करेंगे. नौ अक्टूबर की सुबह लखनऊ के लिए रवाना होंगे.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Photo Credits: IANS)

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) आज शनिवार से पांच दिन तक गोरखपुर मंदिर में गोरक्षपीठाधीश्वर की भूमिका में रहेंगे. मंदिर प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी बुधवार सुबह तक गोरखपुर में रहेंगे. इस दौरान नवरात्र की सप्तमी, अष्टमी और नवमी का पूजन करने के बाद दशहरे के दिन परंपरागत विजय जुलूस की बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर अगुवाई करेंगे. यहां से वह नौ अक्टूबर की सुबह लखनऊ के लिए रवाना होंगे.

कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री एयरपोर्ट से सीधे चंपा देवी पार्क पहुंचेंगे, जहां मोरारी बापू की रामकथा के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल होंगे. शनिवार शाम वह गोरखनाथ मंदिर में पूरे विधि-विधान से महानिशा पूजन करेंगे. योगी आदित्यनाथ सोमवार यानी नवरात्र की नवमी को अपने आवास में कन्या पूजन करेंगे और उनके पांव पखारकर उन्हें अपने हाथों से भोजन कराएंगे.

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नवरात्र समाप्त होने के बाद मंगलवार को विजयदशमी के दिन वे सुबह श्रीनाथजी की पूजा-अर्चना करेंगे और दोपहर में तिलक कार्यक्रम के बाद शाम चार बजे विजय जुलूस की अगुवाई करेंगे. जुलूस परंपरागत ढंग से मानसरोवर रामलीला मैदान पहुंचेगा, जहां वह भगवान श्रीराम का तिलक करेंगे. विजयदशमी के दिन शाम सात बजे सहभोज कार्यक्रम आयोजित होगा. इसे बाद बुधवार सुबह वे लखनऊ के लिए रवाना हो जाएंगे.

ज्ञात हो कि गोरखनाथ मंदिर में शारदीय नवरात्र भव्य रूप में मनाया जाता है. शारदीय नवरात्र में मुख्यमंत्री योगी नौ दिन तक व्रत रखकर माता की पूजा-अर्चना करते हैं. परंपरा है कि गोरक्ष पीठाधीश्वर को कलश स्थापना के बाद पूरे नवरात्र अपने आवास में ही निवास करना होता है. हालांकि मुख्यमंत्री पद के दायित्व को देखते हुए योगी आदित्यनाथ के लिए ऐसा करना संभव नहीं लेकिन वह जब तक मंदिर में रहेंगे तब तक वहां से बाहर नहीं निकलेंगे.

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