आंध्र प्रदेश : अमरावती में सीएम एन. चंद्रबाबू नायडू द्वारा बनाई गई इमारत 'प्रजा वेदिका' को तोड़ने का काम जारी
पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के आवास के पास कृष्णा नदी के किनारे स्थित एक इमारत 'प्रजा वेदिका' को गिराने का काम बुधवार को तनाव और कड़ी सुरक्षा के बीच पूरी रफ्तार से जारी है. आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने इमारत को ढहाने पर रोक की याचिका खारिज कर दी है.
अमरावती : यहां स्थित पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू (N. Chandrababu Naidu) के आवास के पास कृष्णा नदी के किनारे स्थित एक इमारत को गिराने का काम बुधवार को तनाव और कड़ी सुरक्षा के बीच पूरी रफ्तार से जारी है. आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय (Telangana High Court) ने इमारत को ढहाने पर रोक की याचिका खारिज कर दी है.
तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू द्वारा आधिकारिक बैठकों के लिए 2017 में बनाई गई इमारत 'प्रजा वेदिका' की चाहरदीवारी, गोदाम, भोजन कक्ष, शौचालय और अन्य हिस्सों को मंगलवार रात तोड़ने के बाद अधिकारियों ने मुख्य इमारत को तोड़ना शुरू कर दिया.
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'प्रजा वेदिका' में मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी की जिला अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ पहली बैठक संपन्न होने के कुछ घंटों बाद ही इमारत को तोड़ने का काम शुरू हो गया. उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि उनकी सरकार अनाधिकृत रूप से निर्मित इमारतों को ढहाने का अभियान चलाएगी, जिसकी शुरुआत नदी के किनारे स्थित सभी नियमों का उल्लंघन कर बनी इस इमारत को तोड़कर की जाएगी.
राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (सीआरडीए) के अतिरिक्त आयुक्त विजय कृष्णन इमारत को तोड़े जाने के कार्य का पर्यवेक्षण करेंगे. नायडू के विदेश यात्रा से लौटने और अपने घर जाने के बावजूद उंदावल्ली में तनाव के माहौल के बीच मजदूर रात से इमारत तोड़ने में लगे हैं. पुलिस ने तेलगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को इमारत के पास जाने से रोकने के लिए यातायात के मार्ग में परिवर्तन कर दिया है.
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंगलवार रात इमारत को ढहाने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. सामाजिक कार्यकर्ता पी. श्रीनिवास राव द्वारा दायर याचिका की सुनवाई उच्च न्यायालय की खंड पीठ ने बुधवार तड़के 2.30 बजे सुनी. इमारत को ढहाने से जनता का धन बर्बाद करने का आरोप लगाकर याचिकाकर्ता ने इस पर तुरंत रोक लगाने की मांग की.
न्यायमूर्ति सीताराम मूर्ति और न्यायमूर्ति जे. श्याम प्रसाद ने याचिकाकर्ता के वकील का तर्क सुना. महाधिवक्ता श्रीराम सुब्रमंड्यम ने सरकार का पक्ष रखा और रोक लगाने के आदेश का विरोध किया. इसके बाद अदालत ने इमारत तोड़ने पर रोक लगाने का आदेश देने से इनकार कर दिया और मामले की सुवाई दो सप्ताह तक टाल दी.