लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने शुक्रवार को यहां कहा कि पर्यटन को अध्यात्मिक पर्यटन तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि उसे हैरिटेज, वन्यजीवन तक बढ़ाया जाए और इसकी योजना बनाकर इसे रोजी-रोजगार से जोड़ा जा सकता है. मुख्यमंत्री ने यहां इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) प्रतिष्ठान के सभागार में एक बहुभाषी समाचार एजेंसी द्वारा आयोजित उत्तर प्रदेश विकास संवाद-2 में तीर्थाटन, पर्यटन और क्षेत्रीय विकास पर केन्द्रित समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे.
उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. पर्यटन क्षेत्र को तीर्थाटन से आगे ले जाकर हम आíथक स्वावलम्बन की ²ष्टि से बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. लेकिन इसे तीर्थाटन तक सीमित करना ठीक नहीं है. इसे रोजगार से भी जोड़ा जाना चाहिए."
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मुख्यमंत्री ने कहा, "यह सच है कि पर्यटन का स्वरूप तीर्थाटन के रूप में रहा है, लेकिन तीर्थयात्री को भी कुछ सुविधा चाहिए. अगर उसके पास भुगतान क्षमता है तो यह एक अच्छी शुरुआत हो सकती है. काशी विश्वनाथ और उसके आसपास के क्षेत्र के विकास के लिए जब हम योजना बना रहे थे तो गाइड रखने का सुझाव आया था. पहले चरण में 30 गाइड रखे गए और वे सरकार पर बोझ बने बिना हर माह 30 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक कमा रहे हैं."
मुख्यमंत्री योगी ने कहा, "हमारे पास अयोया, मथुरा, काशी, वृंदावन, नैमिष आदि कई प्रमुख तीर्थस्थल, बौद्घस्थल हैं, जो धाíमक पर्यटन का हिस्सा हैं. यहां तमाम अनेक ऐसे हिस्से हैं, जहां रोजगार उत्पन्न हो सकते हैं. बस इसमें सकारात्मक दृष्टि से कार्य करने की आवश्यकता है."
उन्होंने कहा, "परिवर्तन के लिए हमें मानसिक तौर पर तैयार रहना होगा. कूप मंडूक रहकर हम परिवर्तन नहीं ला सकते. इस स्थिति से उबरना होगा और आगे जाना होगा."
उन्होंने कहा, "अयोया में पहले दीपावली पर शस्त्र पूजन आदि कर लिया जाता था, लेकिन हमारी सरकार ने संतों से बात करके सामूहिक रूप से दीपोत्सव मनाने की परम्परा शुरू की. अयोध्या के साथ दीपोत्सव अब जुड़ चुका है. योजना और सहभागिता साथ-साथ चले तो पर्यटन को नई दिशा दी जा सकती है."
मुख्यमंत्री ने कहा, "अध्यात्मिक, सांस्कृतिक काया के साथ अगर हम अपने पर्यटन स्थल को नए कलेवर में नहीं रखेंगे तो दुनिया आकíषत नहीं होगी. उत्तर प्रदेश में विकास की सम्भावनाएं पहले से ही मौजूद हैं."
मुख्यमंत्री ने कहा, "1916 में महात्मा गांधी काशी आए थे और विश्वनाथ मंदिर दर्शन करने गए थे. तब उन्होंने वहां गलियों में मौजूद गंदगी और संकीर्णता पर तल्ख टिप्पणी की थी. उनकी टिप्पणी के 100 साल बाद भी न तो गलियां चौड़ी हुईं और न ही गंदगी हटी. हमारी सरकार ने इस दिशा में प्रयास किया है. अब काशी में पांच फुट संकरी गलियां नहीं, बल्कि सौ फुट चौड़ा रास्ता मिलेगा." योगी ने ईको टूरिज्म के विकास पर भी जोर दिया.