Tripura Election 2023: त्रिपुरा में नहीं बदला जाएगा मुख्यमंत्री, बिप्लब देब के नेतृत्व में ही BJP लड़ेगी चुनाव
पश्चिम बंगाल में भाजपा को हराने वाली जोड़ी (ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर) अब त्रिपुरा में भाजपा को सत्ता से बाहर करने का दावा कर रही है. त्रिपुरा में टीएमसी, भाजपा सरकार के लिए कितना बड़ा खतरा हो सकती है ? राज्य में भाजपा का मुख्य मुकाबला किससे होने जा रहा है ? भाजपा में चल रहे मुख्यमंत्री बदलो अभियान का असर क्या त्रिपुरा में भी देखने को मिल सकता है?
Tripura Assembly Election 2023: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भाजपा को हराने वाली जोड़ी (ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर) अब त्रिपुरा में भाजपा को सत्ता से बाहर करने का दावा कर रही है. त्रिपुरा में टीएमसी, भाजपा सरकार के लिए कितना बड़ा खतरा हो सकती है ? राज्य में भाजपा का मुख्य मुकाबला किससे होने जा रहा है ? भाजपा में चल रहे मुख्यमंत्री बदलो अभियान का असर क्या त्रिपुरा में भी देखने को मिल सकता है? इन तमाम मुद्दों पर आईएएनएस के वरिष्ठ सहायक संपादक संतोष कुमार पाठक ने भाजपा के त्रिपुरा प्रभारी, राष्ट्रीय सचिव और लोकसभा सांसद विनोद सोनकर से खास बातचीत की. सवाल- तृणमूल कांग्रेस ने त्रिपुरा में नगर निकाय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, आपको क्या लगता है, तृणमूल कितना बड़ा खतरा हो सकता है भाजपा के लिए ? यह भी पढ़े: Tripura Assembly Election 2023: पश्चिम बंगाल में मिली प्रचंड जीत के बाद ममता बनर्जी की नजर अब त्रिपुरा पर, कहा- राज्य में अगला चुनाव हम जीतेंगे
जवाब- लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का अधिकार है. टीएमसी कोई पहली बार त्रिपुरा में चुनाव नहीं लड़ रही है. उसने राज्य में 2018 में भी चुनाव लड़ा था और 2019 में भी, लेकिन उनकी जमानत तक जब्त हो गई थी. अब अगर टीएमसी एक बार फिर से चुनाव लड़ना चाहती है तो लड़े, हमें उनसे कोई खतरा नहीं है. सवाल-लेकिन तृणमूल कांग्रेस तो भाजपा को राज्य की सत्ता से बाहर करने का दावा कर रही है. कांग्रेस आलाकमान की करीबी नेता रही सुष्मिता देब को टीएमसी में शामिल कराया गया. ममता बनर्जी ने अपने भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव को राज्य में जनाधार बढ़ाने का जिम्मा दिया है.
जवाब- देखिए , मैं फिर से कहूंगा कि लोकतंत्र में किसी को चुनाव लड़ने की मनाही नहीं है. सपने देखने का हक सबको हैं. टीएमसी पहले भी त्रिपुरा में गंभीरता से बड़ी तैयारी के साथ चुनाव लड़ी थी, लेकिन इनके हाथ उस समय भी कुछ नहीं आया था और इनके उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी. त्रिपुरा में मुख्यमंत्री बिप्लब देब के नेतृत्व में भ्रष्टाचार मुक्त, अपराध मुक्त और विकास युक्त भाजपा की सरकार चल रही है. वहां टीएमसी के लिए कोई जगह नहीं है, कोई संभावना नहीं है. यह भी पढ़े: त्रिपुरा के BJP विधायक आशीष दास TMC में होंगे शामिल? कोलकाता के कालीघाट काली मंदिर में सिर मुंडवाने के बाद किया ऐलान
सवाल- चुनावी रणनीतिकार माने जाने वाले प्रशांत किशोर भी उनके साथ हैं , जिन्होने आपको बिहार में चुनाव हराया, पश्चिम बंगाल में चुनाव हराया. अब इन्ही प्रशांत किशोर के सहारे ममता बनर्जी आपको त्रिपुरा में भी हराना चाहती है. जवाब - त्रिपुरा में 25 साल से जमे लेफ्ट फ्रंट को चुनाव हरा कर भाजपा सत्ता में आई है. अब प्रशांत किशोर से भी 2-2 हाथ कर लेते हैं. देखते हैं कि संगठन और सरकार चुनाव जिताता है या कोई व्यक्ति विशेष. सवाल-लगातार 25 वर्षों से प्रदेश में राज कर रहे लेफ्ट फ्रंट को सत्ता से बाहर कर 2018 में आप लोगों ने त्रिपुरा में सरकार बनाई. मुख्यमंत्री बिप्लब देब 43 महीनों से वहां सरकार चला रहे हैं. अपनी सरकार के कामकाज को आप कैसे आंकेंगे ?
जवाब- जिस आशा और उम्मीद के साथ त्रिपुरा की जनता ने हमें सत्ता दी थी , आज वो सारे सपने साकार हो रहे हैं. आजाद भारत में पहली बार एमएसपी पर किसानों से उपज खरीदने की बात हो, वहां के माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई की बात हो या युवाओं को रोजगार देने की या आधारभूत संरचना के विकास की। भाजपा सरकार ने हर मोर्चे पर ऐतिहासिक कार्य किया है. पहले राज्य में जिसके पास भी थोड़ा पैसा होता था, वो 2 कमरे का फ्लैट कोलकात्ता में लेना चाहता था लेकिन बिप्लब सरकार द्वारा भ्रष्टाचार और अपराध पर लगाम लगाने की वजह से यह कल्चर बदला है और अब बंगाल से लोग आकर त्रिपुरा में बसना चाहते हैं. 25-30 सालों से राज्य में विकास का जो पहिया रूक गया था वो भाजपा के सत्ता में आने के बाद तेजी से दौड़ रहा है.
सवाल-भाजपा में आजकल बदलाव की बयार चल रही है. कई राज्यों में आपने मुख्यमंत्री भी बदले हैं. त्रिपुरा में भी गाहे-बगाहे इस तरह की चर्चा होती रहती है. बतौर त्रिपुरा प्रभारी आप क्या कहेंगे ?जवाब- त्रिपुरा में कोई परिवर्तन होने नहीं जा रहा है. बिप्लब देब के नेतृत्व में हमारी सरकार राज्य में शानदार काम कर रही है और भविष्य में भी उन्ही के नेतृत्व में सरकार चलती रहेगी. भाजपा मुख्यमंत्री बिप्लब देब के नेतृत्व में ही विधान सभा चुनाव भी लड़ेगी. सवाल-राज्य में विधान सभा चुनाव में अब डेढ़ वर्ष से भी कम का समय बचा है. आपके अनुसार राज्य में भाजपा का मुख्य मुकाबला किससे होगा - लेफ्ट फ्रंट, कांग्रेस या तृणमूल कांग्रेस ?
जवाब - हम अपनी सरकार के 5 वर्षों के कामकाज को लेकर चुनावी मैदान में उतरेंगे और जहां तक मुख्य मुकाबले का सवाल है , अभी इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगा क्योंकि आप देश के अन्य राज्यों में देख ही रहे हैं कि किस तरह से विरोधी दल भाजपा को हराने के लिए एक साथ आ रहे हैं. त्रिपुरा में भी नए-नए समीकरण जन्म ले रहे हैं , इसलिए हमारे विरोध में कौन किस तरह से लड़ेगा , इसके लिए अभी इंतजार करना होगा लेकिन इस समय मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि भाजपा पूरी तरह से तैयार है. विपक्ष चाहे अलग-अलग चुनाव लड़े या गठबंधन बना कर लड़े, भाजपा राज्य में दोबारा जीत कर सरकार बनाएगी.
सवाल- आप उत्तर प्रदेश से लोकसभा सांसद भी है. जिस तरह से लखीमपुर खीरी को लेकर गांधी परिवार भाजपा सरकार पर निशाना साध रही है, अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में जंगलराज की बात कह कर योगी सरकार पर निशाना साध रहे हैं, इसका जवाब आप कैसे देंगे ?जवाब - अखिलेश यादव ने 2012 से 2017 के बीच हूटर और शूटर के बल पर उत्तर प्रदेश में सरकार चलाई थी. योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को हूटर और शूटर से मुक्त किया. गांधी परिवार अपना जनाधार पूरी तरह से खो चुका है, कांग्रेस के पास संगठन नाम की कोई चीज नहीं बची है और यह परिवार सिर्फ पॉलिटिकल टूरिज्म पर है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए अब कुछ बचा नहीं है.