लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के नतीजों के लिए वोटों की गिनती जारी है. इसी कड़ी में शुरुआती रुझान आने शुरू हो गए हैं. रुझानों की मानें तो बिहार (Bihar) में महागठबंधन का सफाया होता दिख रहा है जबकि नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (NDA) पलड़ा पूरी तरह भारी दिखाई दे रहा है. ताजा रुझानों के मुताबिक, बिहार में एनडीए 35 सीटों पर आगे चल रही है. इससे पहले रविवार शाम को तमाम न्यूज चैनलों के एग्जिट पोल (Exit Poll) सामने आए, जिसमें मोदी सरकार की वापसी की संभावना जताई गई थी. बिहार (Bihar) की बात करें तो एग्जिट पोल्स में भी महागठबंधन (Mahagathbandhan) के मुकाबले एनडीए का पलड़ा भारी दिखा था. आजतक-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में बिहार में एनडीए को 38-40 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. वहीं, महागठबंधन को 0-2 सीटें मिल सकती हैं. एबीपी-नीलसन के एग्जिट पोल में एनडीए को 34 सीटें तो महागठबंधन को 6 सीटें मिलने अनुमान लगाया गया है. टीवी9-सी वोटर के एग्जिट पोल के मुताबिक, एनडीए को 33 और महागठबंधन को 7 सीटें मिलने की संभावना है. टाइम्स नाउ-वीएमआर के अनुसार, एनडीए 30 तो महागठबंधन 10 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती हैं. न्यूज 18 के मुताबिक, एनडीए 34-36 तो वहीं, महागठबंधन 4-6 पर जीत हासिल कर सकती है.
रुझानों को देखकर लगता है कि बिहार के मतदाताओं ने फिर से एक बार पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताया है. वहीं, महागठबंधन को वोटरों ने पूरी तरह से नकार दिया है. आइए जानते हैं बिहार में इन चुनावों में किन वजहों से महागठबंधन एनडीए के मुकाबले पिछड़ गया-
महागठबंधन में सीट-शेयरिंग को लेकर हुई खींचतान :
बिहार महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अलावा कांग्रेस, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी, जीतनराम मांझी की हम, मुकेश साहनी की वीआईपी और सीपीआई-एमएल शामिल है. महागठबंधन में आरजेडी 19, कांग्रेस 9, आरएलएसपी 5, सीपीआई-एमएल 1, वीआईपी और हम 3-3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. एकतरफ जहां एनडीए ने पहले ही सीटों के बंटवारे और अपने उम्मीदवारों की घोषणा की तो वहीं महागठबंधन नामांकन की आखिरी तारीख तक उम्मीदवार तय करता रहा. सीटों को लेकर हुई किचकिच से जमीन पर एकता का संदेश सही वक्त पर नहीं पहुंच सका.
मोदी-नीतीश की जोड़ी के आगे राहुल-तेजस्वी रहे बेअसर
बिहार में पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी का असर देखने को मिला. वहीं, मोदी-नीतीश की जोड़ी के आगे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की धमक फीकी रही. राहुल-तेजस्वी के मुकाबले मोदी-नीतीश की जनसभाओं में ज्यादा भीड़ जुटी. वहीं, राहुल गांधी की कुछ जनसभाओं में तेजस्वी यादव नदारद रहे. यह भी पढ़ें- Bihar Lok Sabha Results 2019: बिहार की 5 बड़ी सीटें जहां के सांसदों का दिल्ली में होगा दबदबा
तेजप्रताप यादव-शकील अहमद ने दिखाए बागी तेवर
लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे तेजप्रताप यादव ने इन चुनावों में बागी तेवर दिखाए. तेजप्रताप यादव ने अपने कोटे से बिहार की तीन सीटें मांगी थीं, जिनमें जहानाबाद, शिवहर के साथ ही सारण सीट भी शामिल थी. आरजेडी से ये सीटें न मिलने पर उन्होंने लालू-राबड़ी मोर्चा के बैनर तले अपने उम्मीदवार उतारे. वहीं, वरिष्ठ नेता शकील अहमद मधुबनी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने उतर गए. हालांकि बाद में पार्टी ने उन्हें सस्पेंड भी कर दिया.