नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और राट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को लेकर देशभर में जारी बहस के बीच बिहार में साल 2021 में होने वाली जनगणना जातिगत आधार पर होगी. यह बड़ा फैसला गुरुवार को बिहार विधानसभा में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारति हो गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानसभा में जाति आधारित जनगणना का प्रस्ताव रखा था, जिसे गुरुवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. इसकी घोषणा विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सदन में की. बिहार में जातीय आधार पर जनगणना कराने की मांग लालू यादव, नीतीश कुमार समेत अन्य दल करते रहे हैं. लेकिन नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव से पहले इसे पास कराकर इस मुद्दे को खत्म कर दिया. चुनाव से पहले पास होना एक हथकंडे के तौर पर भी देखा जा रहा है.
बता दें कि इससे पहले साल 1930 में जातिगत जनगणना हुई थी, उसके बाद नहीं हुई. इस जनगणना से साफ हो जाएगा कि बिहार में कितने लोग किस जाति के रहते हैं. इससे पहले आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने भी जातीय जनगणना कराए जाने की मांग उठा चुके हैं.
लालू प्रसाद ने कहा पिछले साल कहा था कि जातिगत जनगणना में आखिर क्या दिक्कत है. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था कि, कथित एनपीआर, एनआरसी और 2021 की भारतीय जनगणना पर लाखों करोड़ खर्च होंगे. एनपीआर में अनेकों अलग-अलग कॉलम जोड़ रहे हैं, लेकिन इसमें जातिगत जनगणना का एक कॉलम और जोड़ने में क्या दिक्कत है?
गौरतलब हो कि इससे पहले मंगलवार को बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर लागू नहीं करने तथा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में एक संशोधन के साथ वर्ष 2010 के प्रारूप में ही लागू करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया था.