Bihar Assembly Elections 2020: जीतन राम मांझी को NDA में शामिल होने पर मिली Z+ सिक्योरिटी, जानें बिहार में किस नेता को मिली है कौन सी सुरक्षा
बिहार चुनाव में जीत के लिए रस्साकसी शुरू ( फोटो क्रेडिट- PTI)

बिहार में चुनाव आयोग ने तीन चरण की विधानसभा चुनाव की तारीखों घोषणा कर दी है. इसके साथ ही बिहार में चुनावी दंगल की शुरुआत हो चुकी है. वहीं, चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर रूठने और मनाने का दौर शुरू है. इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तान आवामी मोर्चा (HAM ) के मुखिया जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) को महागठबंधन छोड़कर एनडीए (NDA) में शामिल होने का फायदा अभी से मिलने लगा है. दरअसल सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की सरकार ने जीतन राम मांझी को 'Z+' (जेड प्लस) सुरक्षा श्रेणी दिया है. जबकि आरजेडी नेता लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव को Y प्लस कैटेगरी की सुरक्षा दी गई है. वहीं, मांझी की सुरक्षा एलजेपी के वरिष्ठ नेता रामविलास पासवान से अधिक हो गई है. दरअसल रामविलास पासवान के z श्रेणी की सुरक्षा है.

बता दें कि बिहार में 'Z+' (जेड प्लस) सुरक्षा श्रेणी लालू यादव और पूर्व सीएम राबड़ी यादव को मिली है. उनके बाद अब जीतन राम मांझी को यह 'Z+' (जेड प्लस) सुरक्षा श्रेणी दी गई है. जबकि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और गवर्नर फागु चौहान (Phagu Chauhan) के पास Z+ और ASL प्रोटेक्टी सिक्योरिटी है. जबकि राज्य में रामविलास पासवान, सुशील मोदी, ललन सिंह, सैयद शाहनवाज हुसैन, वशिष्ट नारायण सिंह, अशोक चौधरी और शत्रुघ्न सिन्हा के पास बिहार में Z श्रेणी की सुरक्षा है.  यह भी पढ़ें:- Bihar Assembly Elections 2020: महागठबंधन को छोड़ने के बाद क्या होगा उपेंद्र कुशवाहा का, नीतीश कुमार से रिश्ते नहीं रहे हैं अच्छे.

गौरतलब हो कि बिहार चुनाव के तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. इसी के साथ हर पार्टी के नेता जीत की हर जुगत में लग गए हैं. वहीं NDA हो या महागठबंधन दोनों खेमे में टिकटों के बंटवारें को लेकर खटपट शुरू है. एनडीए में LJP के नेता चिराग पासवान लगातार नीतीश कुमार पर हमला करते रहे हैं. माना जा रहा है दोनों नेताओं के बीच सब कुछ ठीक नहीं है. वहीं चिराग पासवान के नेता पहले से हुंकार भर रहे हैं और 143 सीटों पर मैदान में उतरने की बात कह रहे हैं. लेकिन अब लगता है कि एनडीए को जीतन राम मांझी के रूप में एक नया विकल्प मिल गया है. शायद यही कारण है कि वे LJP को उतनी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.